डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति
फासला नजदीकियों का मूल है
ज्यों गुलाबों का सहारा शूल है
इक जरा सी बात पर नाराजगी
मान लो यह नासमझ सी भूल है
मेल बिन बढ़ता रहेगा फासला
बात है इक दम खरी माकूल है
भूल कर के भी न मानें भूल तो
जान लो जी वक्त कुछ प्रतिकूल है
रूह कहती खूब सब भूल जा
मन मगर देता निरन्तर तूल है
मन सदा चंचल रहा अंचल बहुत
मोतियों को भी बताता धूल है
मान दिल की बात कर भी ले सुलह
प्यार तो हरपल महकता फूल है।।।।
ममता शर्मा 'अंचल', अलवर (राजस्थान)
लिखने की तिथि:-11.4.2023