कविता:-तेरे आने का अब इंतज़ार भी नहीं।
डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति 

तेरे जाने से दिल बेकरार भी नहीं।
तेरे आने का अब इंतज़ार भी नहीं।
तुझे पाने की ख्वाईश क्या होगी अब,
तेरी चाहत का तलबगार भी नहीं
गुजरते हैं हम उन रास्तों से कभी,
आती अब उनमें पुकार भी नहीं।  
तेरा ग़म ये मुझे डराएगा भी क्या,
मेरे डर का याँ कोई दयार भी नहीं।
न लिखावट है कोई ना इबारत ही,
तेरे ख़त का तो अब इंतज़ार भी नहीं।
"चन्द्रेश' कैसे दिल टूटेगा ये,
अब तक इसमें तो दरार भी नहीं।


















लेखिका:-चन्द्रकांता सिवाल 'चन्द्रेश', करोल बाग (दिल्ली)
Comments
Popular posts
मुख्य अभियंता मुकेश मित्तल एक्शन मे, भ्रष्‍ट लाइन मैन उदय प्रकाश को हटाने एवं अवर अभियंता के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के दिये आदेश
Image
दादर (अलवर) की बच्ची किरण कौर की पेंटिंग जापान की सबसे उत्कृष्ट पत्रिका "हिंदी की गूंज" का कवर पृष्ठ बनी।
Image
साहित्य के हिमालय से प्रवाहित दुग्ध धवल नदी-सी हैं, डॉ प्रभा पंत।
Image
गुजरा बचपन न लौटे कभी
Image
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image