बेटी नही है तुम बन पाओगी क्या

बेटे की शादी के लिए

लड़की देखने गया

पहले दूर से देखा

फिर करीब आया

वो अपने मम्मी पापा

भाई बहन के साथ थी

नजरों से आंकलन किया

फिर मस्तिष्क पर जोर डाला

ये घिरी है अपनों के बीच

मेरे घर में रच बस पाएगी क्या

ये तो अपने पापा की परी है

मां की लाडली भाई की दुलारी है

बहन की सहेली है 

मेरे घर आ पाएगी क्या

आ भी गयी तो मेरे घर को महकायेगी क्या

सोन चिरैया बन मेरे आंगन में चहकेगी क्या

लड़की के पिता ने

असमंजस में देख पूछ लिया

आपने कुछ कहा नहीं

मैनें एक एक कर सभी को देखा

फिर लड़की से पूछा

मेरी बेटी नहीं है

तुम बन पाओगी क्या ?











राज कुमार सिंह, दीवान बाजार (काली मंदिर के पास) गोरखपुर उ.प्र

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