डाटला एक्सप्रेस संवाददाता "पंकज तोमर"
गाजियाबाद :-साहिबाबाद के शालीमार गार्डन स्थित विक्रम एंक्लेव का बंगाली कॉलोनी गांजा तस्करों व सट्टा माफियाओं का अड्डा बन चुकी है। इन तस्करों के हौसले इतने ज़्यादा बुलंद हैं कि वह दबिश पर गई पुलिस टीम पर भी हमला करने से नहीं चूकते। और तो और मौका पाते ही भविष्य के अंजामों की परवाह किये बगैर जान लेने/देने तक पर उतारू हो जाते हैं।
इसी कड़ी में ऐसा ही एक और मामला प्रकाश में आया है जिसमें दिल्ली यूपी बॉर्डर पर साहिबाबाद थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चौकी शालीमार गार्डन के विक्रम एनक्लेव बंगाली कॉलोनी में बीती मंगलवार रात करीब 9 बजे सट्टा व गांजा तस्करों का पुलिस से आमना सामना हो गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसओजी की टीम क्षेत्रीय पुलिस को बगैर सूचित किए गांजा व सट्टा माफियाओं को बंगाली कॉलोनी मे सिविल ड्रेस में पहुंच गई। जिसके बाद सट्टा व गांजा माफियाओं ने टीम पर ईंट-पत्थरों से हमला करने के साथ-साथ गोली भी चलानी शुरू कर दी। जिस कारण विवेक भारद्वाज नामक सिपाही की आँख के पास पत्थर लग गया। आत्मरक्षा करते हुए एसओजी टीम की तरफ से भी जवाबी कार्यवाही की गई, जिसमें एक गांजा तस्कर रफीक के पैर में गोली लगने की बात कहीं जा रही है और उसका इलाज दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में चल रहा है। हालांकि ये गोली किस तरफ से चली यह अभी पूरी तरह साफ नहीं हो पाया है।
आपको बताते चलें कि विक्रम एनक्लेव बंगाली कॉलोनी का यह क्षेत्र दिल्ली से सटा हुआ है जिसके चलते आए दिन यहां पर ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। अपराधी अपराध कर दिल्ली की सीमा में प्रवेश कर रफू चक्कर हो जाते हैं, यह आलम दोनों तरफ का है यदि दिल्ली पुलिस पीछे पड़ती है तो अपराधी यूपी में भाग आते हैं यदि यूपी की पुलिस पीछे पड़ी तो अपराधी दिल्ली में भाग जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली की थाना सीमापुरी पुलिस कई बार कांबिंग ऑपरेशन भी चलाती है, जिससे अपराधियों के मन में दहशत बनी रहे, परंतु इससे अपराधियों के ऊपर रेष मात्र भी फर्क़ नहीं पड़ता जिसका नमूना बीती रात एसओजी की टीम पर हुए हमले में देखा जा सकता है।
तकरीबन ढाई से तीन वर्ष पहले भी गांजा व सट्टा माफियाओं ने पूर्व में रहे शालीमार गार्डन चौकी प्रभारी दिनेश पाल पर दबिश के दौरान इसी प्रकार हमला कर दिया था जिसमें उनके सर में गंभीर चोट आई थी, बाद में पुलिस ने कार्यवाही करते हुए कई गांजा, शराब व सट्टा माफियाओं को जेल भेजा था।
यहां सोचनीय विषय तो यह है कि ऐसे माफियाओं को आखिरकार संरक्षण कौन देता है, जिससे इनके हौसले इस हद तक बुलंद हैं कि यह पुलिस तक को नहीं बक्शतें, तो ज़रा सोचिये किसी आम आदमी के साथ इन अपराधियों का कैसा रवैया होता होगा।