कविता:-संघर्ष की ज्वाला

डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति 


ये ज्वाला यू धधकती है

न जाने कितनों को ये सबक देती है

सुभाष चन्द्र में भी धधकती एक ज्वाला थी 

ये ज्वाला क्रांति के लिये उनमे भड़की थी

मातृ भूमि के प्रति स्वाभिमान की ज्वाला 

सुभाष चंद्र ने ही लोगों में जागृत की थी।


ये ज्वाला यू धधकती है

किसानों को ये संघर्ष के लिये प्रेरित करती है

चूल्हे की आग ना सिर्फ पेट उनका भरती है

बल्कि उस आग की लपट में

वो जज्बा भी उनका बनाये रखती है

और संघर्ष की ज्वाला जलाये रखती है।


ये ज्वाला यू धधकती है

जैसे अन्तर्मन को खुरेदती है

जो बोलने को आतुर है

लेकिन विवश है असहाय है

ये अमीरो की नही गरीबो की बात है

ये भेद भाव को मिटाना है

इस ज्वाला को गरीबो में भी जलाना है।


ये ज्वाला यू धधकती है

प्रह्लाद जैसे लाखो की ये परीक्षा लेती है

ये ज्वाला वो ही पार करता है

जो सत्य के मार्ग पर होता है

ये ज्वाला यू धधकती है

जैसे रोम रोम को ये छुब्ध कर देती है।

जैसे रोम रोम को ये छुब्ध कर देती है।

पर ये ज्वाला कुछ ऐसे ही धधकती है।



  

                          निकितामिश्रा , वाराणसी(उतर प्रदेश)

Comments
Popular posts
विद्युत विभाग के एक जूनियर इंजीनियर की अथाह सम्पत्ति का हुआ खुलासा, सम्पत्ति मे करोड़ो की कोठी सहित कई लग्ज़री गाड़ियां हैं शामिल।
Image
वार्ड संख्या 64 से AIMIM प्रत्याशी फिरशाद चौधरी की जीत के बाद उनके समर्थकों द्वारा निकाली गई बाइक रैली मे काटा गया जबरदस्त हुड़दंग।
Image
अधिशासी अभियंता राजीव आर्य की तिकड़म बाजियां ऐसी जिसे देख शकुनी भी हो जाए नतमस्तक, इन्हीं तिकड़म बाजियों का सहारा ले एक बार फिर अपने चहेते लाइनमैन राजीव को बचाने की कर रहे कोशिश।
Image
'कुंभ' आस्था का महासागर
Image
प्रकाशित ख़बरों व प्रेषित शिकायतों से बौखलाये खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के क्षेत्रीय अधिकारी आशीष गंगवार, भिन्न-भिन्न माध्यमों से बना रहे पत्रकार पर दबाव
Image