नगर निगम गाज़ियाबाद के अधिकारियों का है आरटीआई से छत्तीस का आंकड़ा



डाटला एक्सप्रेस संवाददाता. 

गाजियाबाद:-संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) की सरकार ने न्युनतम साझा कार्यक्रम में किए गए अपने वायदो, पारदर्शिता युक्त शासन व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने के लिए 12 मई 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 संसद में पारित किया, जिसे 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली और अन्ततः 12 अक्टूबर 2005 को यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया। इसी के साथ सूचना की स्वतंत्रता विधेयक 2002 को निरस्त कर दिया गया।

परंतु यह कानून भ्रष्‍ट सरकारी अधिकारियों के लिये एक श्राप की तरह था। क्यूंकि इस कानून ने देश के सबसे आम व्यक्ति को भी इनके सामने लाकर खड़ा कर दिया जिनके सवालों के जवाब देने का समय इन अधिकारियों के पास नहीं होता था। अब एक आम व्यक्ति पूरे हक़ के साथ देश के किसी भी हिस्से में रहकर देश के किसी भी हिस्से की जानकारी को प्राप्त कर सकता था।

परंतु हमारे देश में कोई कानून बाद में बनता है पहले उससे बचने के रास्ते ढूँढ लिये जाते हैं। वैसा ही कुछ सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के साथ भी हुआ।सरकारी विभागों में बैठे कुछ भ्रष्‍ट अधिकारियों ने अपनी कारस्तानीयों को छुपाने के लिये आज इस गंभीर एक्ट का मज़ाक बनाकर रख दिया है, जिसमें आरटीआई का ज़वाब ना देना या अगर देना तो भ्रामक तरीक़े से देना।जिससे आवेदक को जवाब मिलने में देरी हो और यदि मिल भी जाये तो प्राप्त भ्रामक जवाब को ही समझने में हफ्तों लग जाये जिससे खीज या भूल कर आवेदक इसे छोड़ आगे बढ़ जाये। 

उक्त से संबंधित एक ऐसा ही मामला गाज़ियाबाद नगर निगम से जुड़ा हुआ है। आरटीआई एक्ट के उल्लंघनों के मामले में आज नगर निगम गाज़ियाबाद अन्य विभागों से काफ़ी आगे है। उदाहरण लीजिये जैसे आप कोई आरटीआई आवेदन नगर निगम में रिसीव करवाते है तो पहले यह उसका जवाब ही नहीं देंगे और अगर भूले भटके दो चार महीनों बाद दे भी दिया तो ऐसा देते है जिसे समझने के लिये आपको कड़ी मानसिक मशक्कत करनी होगी।दूसरा यह दिये गये जवाबों में प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और प्रथम अपील लगाने के स्थान का जिक्र कहीं नहीं करते। यानी यह हर वह सम्भव प्रयास करते है जिससे आवेदक को आरटीआई का जवाब ना मिल पाये। 

आपको बताते चलें कि पूर्व में नगर निगम गाजियाबाद द्वारा वार्ड नंबर 37 में "पार्षद" सरदार सिंह भाटी के कार्यालय के सामने आरसीसी नाले का निर्माण कार्य किया गया था। जिसके संबंध में दिनांक 27/03/2021 को आरटीआई कार्यकर्ता रोशन कुमार राय द्वारा 14 बिंदुओं पर नगर निगम गाज़ियाबाद के नवयुग मार्केट कार्यालय पर आरटीआई आवेदन देकर उक्त ठेके के संबंध में जवाब मांगा गया जिसके साथ संलग्न भारतीय पोस्टल आर्डर क्रमांक संख्या:-32F1S9458 है। 

परंतु आज लगभग तीन माह बीत जाने पर भी नगर निगम द्वारा उस आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया और ना ही नगर निगम के किसी अधिकारी द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता से संपर्क किया गया। जिसे देख कर यह साबित होता है कि उक्त नाले के निर्माण कार्य में मोहन नगर जोन के अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार द्वारा भारी भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया, जिसे उजागर करते हुए पूर्व में कई ख़बरें भी समाचार पत्र में प्रकाशित हुई। उक्त आरटीआई का जवाब न देने को देखते हुआ ऐसा माना जा सकता है कि नगर निगम के मोहन नगर जोन में तैनात अधिकारियों को कहीं न कहीं इससे संबंधित नाला निर्माण के ठेके में हुए भ्रष्टाचार के खुलासे का डर है। 

जिसे ध्यान में रखते हुए मामले की शिकायत नगर आयुक्त गाज़ियाबाद सहित जनपद, मंडल व शाशन स्तर पर की जा रही है।

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