जीडीए प्रवर्तन जोन 04 स्थित कवि नगर क्षेत्र में, जोन अभियंताओं की शह पर, भारी मात्रा में हो रहे हैं अवैध निर्माण


डाटला एक्सप्रेस संवाददाता

गाज़ियाबाद:-कोरोना महामारी के चलते गत् माह मई से लगे आंशिक लॉकडाउन की वजह से आमों-खास सबको काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। जून माह में प्रदेश सरकार द्वारा लोगों से कोरोना महामारी के लिये बनाये गये नियमों का पालन करने की शर्त पर लाॅकडाउन से दी गई छूट के बाद आर्थिक परिस्थितियों में तेजी से सुधार देखने को मिल रहा है। 

हाउसिंग सैक्टर देश का एक बहुत बड़ा और महंगा सैक्टर है। गत् वर्ष कुछ महीनों व इस वर्ष मई माह में लगे लॉकडाउन की वजह से निर्माण कार्य रुक जाने के कारण इस सैक्टर को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है। जून के महीने में लाॅकडाउन खुलने के बाद से ही इस सैक्टर ने पुनः अपनी रफ्तार को पकड़ लिया है और बोहोत तेजी से रुके हुए सभी निर्माण कार्य बहुत तेजी से पूरे किये जा रहे हैं।

दूसरी ओर यह भी किसी से नहीं छुपा की जितना भ्रष्टाचार इस सैक्टर में है उतना दूसरे किसी अन्य में नहीं।विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा अपनी शह पर निर्माण मानकों के विपरीत निर्माण को पूरा करवा कर अपनी जेबों को भरने के मामले बहुत आम हो गये हैं।विभागों में बैठे अधिकारियों को निर्माणकर्ताओं द्वारा प्राप्त होने वाली भारी भरकम रिश्वत उनके मुँह और कलम पर ताले जड़ देती है, जिसका खामियाजा केवल और केवल राज्य सरकार को भुगतना पड़ता हैं जिसमें उन्हें हर वर्ष भारी राजस्व हानि होती है।

ऐसा ही मामला गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन 04 (चार) अंतर्गत आने वाली कवि नगर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। जिसमें जोन के अवर अभियंताओं कि शह पा भारी मात्रा में अनेकों अवैध निर्माण हो रहे हैं। ऐसा नहीं कि इसकी भनक जोन 04 के प्रभारी श्री योगेश पटेल "सहायक अभियंता" को नहीं है।अवैध निर्माणों संबंधी पूर्ण जानकारियां होने के बावजूद भी वह अपनी शह जोन में तैनात अवर अभियंताओं दे अवैध निर्माणों को और तेजी से क्षेत्र में फलने-फूलने देते हैं। 

कवि नगर क्षेत्र में हो रहे कुछ अवैध निर्माण 

KB 37 KAVI NAGAR
KB-72 KAVI NAGAR
KC-48 KAVI NAGAR
KC-46 KAVI NAGAR
KB-73 KAVI NAGAR
KC-20 KAVI NAGAR 

अवैध निर्माण संबंधी मुख्य बिंदु कुछ इस प्रकार हैं। 

(1)प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत मानचित्र के बिल्कुल विपरीत किया गया व निरंतर किया जा रहा है निर्माण 

(2)-एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाते खुले में हो रहा है अवैध निर्माण।

(3) एफएआर एवं सेट-बैक नियमों का किया गया है उल्लंघन यानि निर्धारित से अधिक क्षेत्र को कवर करके किया गया है निर्माण।

(4)निर्धारित से कई गुना अधिक छज्जों की चौड़ाई जो चित्र में साफतौर पर देखा जा सकता है। 

(5)-बिना आदेश किया गया व जा रहा हैं अवैध भू-जल दोहन।

(6) उक्त के संबंध में आने वाली जन-शिकायतों पर प्रवर्तन जोन के 04 के अभियंताओं द्वारा अतिरिक्त निर्माण के शमन का आवेदन प्राप्त होने का बहाना बना शुरू से डाला गया अवैध निर्माण पर पर्दा, जबकि स्वीकृत मानचित्र से किये गये अतिरिक्त निर्माण के आधे से भी कम का किया गया है शमन

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के भ्रष्टाचार की कहानियां किसी से छुपी हुई नहीं है। न जाने कितनी ही बार अवैध निर्माणों को अपना संरक्षण देने के चलते कई अवर अभियंता और सुपरवाइजर्स सस्पेंड हो चुके हैं। बावजूद इसके यह अपनी कारस्तानीयों से बाज नहीं आते और निरंतर अवैध निर्माणों को अपनी शह देकर उन्हें पूरा करवाते हैं। जिससे राज्य सरकार को हर वर्ष भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन इनको इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं होता, इन्हें तो केवल अपनी जेबें भरने भर से मतलब है। यदि कोई शिकायत करें तो यह शिकायतकर्ता को पूर्वाग्रह से ग्रसित और ब्लैक-मेलर तक बताते हैं। लेकिन यह नहीं बताते कि आखिर इन्होंने ऐसा क्या किया या छुपाया है जिसके लिये यह ब्लैक मेल हो रहे हैं। 

इनके द्वारा शिकायतों पर आख्या लगाने के दूसरे तरीके कुछ इस प्रकार भी होते हैं जैसे कि उक्त अवैध निर्माण के खिलाफ दायर वाद न्यायालय में लंबित है, उक्त निर्माण को सील कर पुलिस अभिरक्षा में दे दिया गया है, निर्माण को सील बंद किया जा चुका है। जबकि मौके पर ऐसा कुछ नहीं होता यह सब केवल काग़ज़ी कार्यवाहियां या दिल्ली की भाषा में बोले तो हवाई फायरिंग होती हैं जो अवैध निर्माणों को पूरा करवाने में इन्हें सहायता प्रदान करती हैं। असल में अवैध निर्माणों को पूरा करवाने के लिए यह लोग एक सिस्टम से काम करते हैं जिसमें सबसे पहले अवैध निर्माणों के खिलाफ न्यायालय में वाद दाखिल कर दिखावटी सिलिंग की कार्यवाही करते हुए संबंधित थाने को उक्त निर्माण की शिकायत दे निर्माण को अपनी अभिरक्षा में लेने के लिए कहा जाता है जिसकी आड़ में निर्माणकर्ता अभियंताओं के संरक्षण में बिना किसी रोक टोक के अपना निर्माण पूरा करता है। बाकी बची यह सब कागज़ी कार्यवाहियां इन अभियंताओं को निर्माणों के विरुद्ध प्राप्त होने वाली जन-शिकायतों का निवारण करने में सहायता प्रदान करती हैं।उदहारण के लिये जैसे कोई व्यक्ति किसी अवैध निर्माण संबंधी शिकायत करता है तो यह कुछ इस प्रकार से अपनी आख्या प्रस्तुत करते हैं कि उक्त निर्माण विरुद्ध दायर वाद न्यायालय में लंबित है एवं निर्माण को सील बंद कर पुलिस अभिरक्षा में दे दिया गया है।जबकि ऐसा होता नहीं है कागजों में सील निर्माण मौके पर धीरे-धीरे बन कर तैयार हो जाता है।

इन सभी अवैध निर्माणों की शिकायत जिला, मंडल व शाशन स्तर पर की जा रही है तथा जोन में हो रहे अन्य अवैध निर्माणों को भी जल्द ही प्रकाश में लाया जायेगा।

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