जीडीए प्रवर्तन जोन 04 के अभियंताओं की शह पर सालों से स्थापित/संचालित हैं सैकड़ों अवैध मोबाइल टावर्स

डाटला एक्सप्रेस संवाददाता 

. जोन की हर गली में लगे हैं मोबाइल टावर, फैला रहे रेडिएशन

. नियम-कानून ताक पर रख लगाए गए टावर दे रहे बीमारियों को न्यौता

. तमाम शिकायतों के बावजूद अभियंता नहीं करते कोई उचित कार्यवाही


गाज़ियाबाद:-गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण अपने अंदरुनी भ्रष्टाचार के चलते आज कई प्रकार की जांचों का सामना कर रहा है। 

बीते कुछ माहों में हमने जीडीए के कई अधिकारियों/कर्मचारियों के भ्रष्टाचारी गतिविधियों में लिप्त होने चलते उनके निलंबन/तबादलों की ख़बरें भी सुनी।

परंतु इन सब का गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन खंड जोन चार (04) के अभियंताओं पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।जोन अभियंताओं द्वारा सरकारी नियमों को ताक पर रख व जनहित का ध्यान ना रखते हुए आज पूरे जोन में हर जगह जहां भी नज़र जाये अनगिनत मोबाइल टावर्स को सालों से अपनी छत्र-छाया में स्थापित करवा रखा है। इन टावर्स से निकलने वाली खतरनाक इलैक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें जिनके कारण होनी वाली जानलेवा बीमारियों और जिन इमारतों पर यह स्थापित हैं उनकी मजबूती का प्रभावित होने के चलते भविष्य में शाहबेरी और डासना जैसी कोई अप्रिय घटना कुछ भ्रष्‍ट अभियंताओं के कारण देखने को मिल सकती है।परंतु अपने छोटे से फायदे के चलते आम-जन के जान-माल का ध्यान ना रखते हुए आज प्रवर्तन जोन 04 के अभियंताओं ने पूरे क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में मोबाइल टावरों को स्थापित करवा रखा है।

यहां भ्रष्टाचार की हद को देखें कि कई मोबाइल टावर तो ऐसी मार्केट्स के बिचों-बीच मौजूद हैं जहां रोज़ाना हज़ारों लोगों का आना-जाना लगा रहता है, जिसे आप प्रकाशित छायाचित्रों में भी साफ तौर पर देख सकते हैं।ऐसा नहीं है कि यह सब जोन अभियंताओं के संज्ञान में ना हो यह उनके पूरी तरह संज्ञान में भी है। बावजूद इसके अभियंताओं द्वारा ऐसे घातक और अनेकों प्रकार की बीमारियां फ़ैलाने वाले मोबाइल टावरों के विरुद्ध कोई भी उचित विभागीय/कानूनी कार्यवाही आज दिन तक नहीं की गई। जो इन अभियंताओं के भ्रष्टाचारी मंशा को साफ दर्शाता है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हैं खतरनाक

मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स कैंसर का कारण बनती हैं। इस रेडिएशन से जानवरों पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि जिस एरिया में मोबाइल टावरों की संख्या अधिक होती है, वहां पक्षियों की संख्या कम हो जाती है। ग्रामीण अंचल में इसी वजह से मधुमक्खियां समाप्त हो गई हैं।

किस एरिया में नुकसान सबसे ज्यादा

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो मोबाइल टावर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। एंटेना के सामनेवाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। जाहिर है, सामने की ओर ही नुकसान भी ज्यादा होता है। मोबाइल टावर से होने वाले नुकसान में यह बात भी अहमियत रखती है कि घर टावर पर लगे ऐंटेना के सामने है या पीछे। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटेना लगे होंगे, रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा।

रेडिएशन से ये होते हैं नुकसान

1-थकान

2-अनिद्रा

3-डिप्रेशन

4-ध्यान भंग

5-चिड़चिड़ापन

6-चक्कर आना

7-याद्दाश्त कमजोर होना

8-सिरदर्द

9-दिल की धड़कन बढ़ता

10-पाचन क्रिया पर असर

11-कैंसर का खतरा बढ़ जाना

12-ब्रेन ट्यूमर

टावर लगाने के ये हैं नियम

1-छतों पर सिर्फ एक एंटीना वाला टावर ही लग सकता है।

2-पांच मीटर से कम चौड़ी गलियों में टावर नहीं लगेगा।

3-एक टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होगा।

4-टावर घनी आबादी से दूर होना चाहिए।

5-जिस जगह पर टावर लगाया जाता है, वह प्लाट खाली होना चाहिए।

6-उससे निकलने वाली रेडिएशन की रेंज कम होनी चाहिए।

7-कम आबादी में जिस बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, वह कम से कम पांच-छह मंजिला होनी चाहिए।

8-टावर के लिए रखा गया जेनरेटर बंद बॉडी का होना चाहिए, जिससे कि शोर न हो।

9-जिस बिल्डिंग की छत पर टावर लगाया जाता है, वह कंडम नहीं होनी चाहिए।

10-दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और बारह एंटीना वाले की 75 मीटर जरूरी है।

11-मोबाइल कंपनियों को अभी लगे टावरों से उत्सर्जित विकिरण को 90 फीसद तक कम करना होगा।

12-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले पर 5 लाख रुपए प्रति टावर जुर्माना है।

बोलते हैं आंकड़े.

. 2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।

. हंगरी में साइंटिस्टों ने पाया कि जो बहुत ज्यादा सेलफोन इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।

. जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक जो लोग ट्रांसमिटर ऐंटेना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई।

. 400 मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है।

. केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार मोबाइल फोन टावरों से होनेवाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की कमर्शियल पॉपुलेशन 60 फीसदी तक गिर गई है


इतने गंभीर परिणामों एवं मोबाइल टावरों को स्थापित करने के लिए इतने सख्त कानून होने के बावजूद आज जीडीए प्रवर्तन जोन 04 के अभियंता अपनी अंदरुनी साठ-गांठ के चलते इतने वर्षों से इन सैकड़ों जानलेवा मोबाइल टावरों को अपनी छत्र-छाया में फलने-फूलने दे रहे हैं। जिसकी वज़ह केवल यह है कि इन सब बातों की जानकारी जीडीए से बाहर मंडल एवं शाशन स्तर पर बैठे अधिकारियों को नहीं मिल पाती, और सालों-साल ऐसे टावर्स अपने स्थान पर कुछ भ्रष्‍ट अधिकारियों/कर्मचारियों के कारण बने रहते हैं । में रखते हुए और विशेषकर जनहित को ध्यान में रखते हुए हमारे द्वारा इन सभी टावर्स की जानकरीयों को मंडल और शाशन स्तर के सभी उच्चधिकारियों तक भेज मामले से संबंध रखने वाले सभी अभियंताओं के विरुद्ध सख्त से सख्त विभागीय/कानूनी कार्यवाही करने की मांग की जाएगी।

जीडीए प्रवर्तन जोन 04 (चार) में लगे कुछ मोबाइल टावर्स की तस्वीरें













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