डाटला एक्सप्रेस संवाददाता
आज़ के इस प्रगतिशील और वैज्ञानिक युग में मानव व दानव आज़ स्थिर हो गया है, जहाँ क्षय को रोकने में हर स्तर पर कुछ न कुछ जागरूक व ज़िम्मेदार नागरिकों के द्वारा सुझाव व नए संस्कार अमल में लाने का अहवाहन किया जा रहा है ।
उद्देश्य सिर्फ़ एक - क्षति या क्षय को किस तरह नियंत्रण में लाया जाए , चाहे कोविड - 19 या कोरोना वायरस के कारण ‘मानव क्षति’ या ‘रोज़गार की क्षति’
प्रकृति ने सृजन के साथ साथ क्षय होने की समय सीमा भी निर्धारित कर दी है लेकिन क्षय अथवा क्षति होना इतनी तेज़ी से हो रहा है और इसके कारक सिर्फ़ और सिर्फ़ मानव समाज है ; कारण सिर्फ़ एक - प्रकृति के विरोध में कार्य करना और मानव का अपनी प्रति स्पर्धा प्रकृति से करना ।
मानव क्षति को रोकने में सिर्फ़ एक सिद्धांत नियंत्रण में कर सकता है और वो है - ‘एकांत’
एकांत मानव को अवसर देता है अपने आप को दुरुस्त व चुस्त करने का, जिसमें मानव विचार, योग, ध्यान, किताब और विशेष रूप से हर वो हरकत जिससे समाज का परिवेश बेहतर हो सके व आदि अनादि का उपयोग कर अपनी संरचना व रचना को दुरुस्त कर सके और समाज को एक स्वस्थ व प्रगतिशील विचार दे सके ।
एक विचार ही , मानव को रोज़गार के नए तरीक़े उपलब्ध करवाता है, आज़ विश्व एक वैश्विक बदलाव के दरवाज़े की ओर बढ़ रहा है और क़दम डर क़दम उस और तेज़ी से बढ़ रहा है ।
सवाल यह है कि जिस भारतीय समाज में मानव रह रहा है , उसके विचार बदलाव के लिए कितने तैयार मिलते है , शायद भारतीय समाज ने इस व्यापिक दृष्टिकोण से कभी देखने के लिए अवसर ही नहीं मिला।
और इस अवसर का नाम है - ‘ डाइरेक्ट सेलिंग ‘ जहाँ मानव अपने विवेक से अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर लेता है और हर उस संघर्ष को ख़त्म कर देता है जो उसके जीवन को कठिन लगती है ।
डाइरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री में पहले बड़े देशों का दबदबा रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारतीय डाइरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री ने वैश्विक बाज़ार में अपनी छाप छोड़ी है और भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व स्तर पर 23rd रैंक पर क़ाबिज़ हो चुकी है ।
और रोज़गार के रोग को दूर करने के लिए डाइरेक्ट सेलिंग से बेहतर और कोई पायदान नहीं , जहाँ योग्यता को सिखाया जाता है और इसके लिए आवश्यक गुण सिर्फ़ अपने सपनो को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्धता चाहिए होती है ।
विवेक कुमार चौबे ‘अवचेतन’
डाइरेक्ट सेलिंग कंसलटेंट
मोबाइल - 9899690705