कोयल एनक्लेव बिजली घर भ्रष्टाचार में अव्वल

 


डाटला एक्सप्रेस संवाददाता

गाजियाबाद:-विद्युत वितरण खंड के डिवीजन चार राजेंद्र नगर बिजली घर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोयल एनक्लेव बिजली घर पर अधिशासी अभियंता राजीव आर्य की छत्रछाया में आज भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। यदि राजीव आर्य को बिजली घर पर हो रही भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें प्राप्त भी होती हैं, तब भी ना जाने किस लोभ के चलते वह अपने उच्चाधिकारियों को गुमराह कर उन शिकायतों पर उल्टी-सीधी आख्या प्रेषित कर मामले को रफा-दफा करने में बिल्कुल समय नहीं लगाते। जिसके फल स्वरुप आज विभाग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।मिस्टर आर्य द्वारा शिकायतों पर जांच कर दोषियों को सजा देने की जगह किस प्रकार उन दोषियों को इससे सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाये इस पर अधिक विचार किया जाता है। यह कोई मनगढंत बात नहीं, पूर्व में जनहित को ध्यान में रख की गई सैकड़ों सत्य शिकायतों पर किस प्रकार राजीव आर्य द्वारा आख्या लगा दोषियों का बचाव किया गया और कैसे आज भी उनके कारनामों पर वह पर्दा डाल उनके मनोबल को और अधिक बढ़ा रहे हैं , जिसे देख प्रथम दृष्टया यही समझ आता है कि राजीव आर्य ही वह संगम हैं जहां सारी भ्रष्टाचारी नदियां आकर मिलती हैं। सबसे गंभीर विषय तो यह है कि यदि कोई उपभोक्ता उनकी बात ना माने तो उसके ऊपर विद्युत चोरी की f.i.r. दर्ज करवाने में भी आर्य साहब पीछे नहीं हटते । ऐसे मामले बीते कुछ वर्षों में और भी तेजी से बढ़े हैं। 

इसी क्रम में विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार आपको बताते चलें की कोयल एनक्लेव बिजली घर क्षेत्र अंतर्गत आने वाले गगन विहार गली नंबर 10 बी-ब्लॉक में बिजली घर पर तैनात अधिकारियों ने एक डेयरी पर डायरेक्ट विद्युत चोरी पकड़ी थी। परंतु चोरी पकड़े जाने के बाद चोरी पकड़ने वाले अधिकारियों द्वारा उस डेयरी मालिक से मोटा लेन-देन कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। जानकारी के अनुसार यह मामला करीब 20 से 25 दिन पुराना है। ना जाने कितने ही वर्षों से इस डेयरी पर लाखों की विद्युत चोरी हो चुकी थी,यह जानते हुए भी केवल अपने निजी हित के लिये उन अधिकारियों ने विभाग को उक्त मामले से कितना बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया है जो बहुत ही शर्मनाक है। चलिए यह मामला तो प्रकाश में आ गया। न जाने ऐसे कितने ही और अन्य मामले होते होंगे जो सामने ही नहीं आ पाते। इस प्रकार के मामलों को रोकने और डिविजन चार में हो रहे भारी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये अब एक गंभीर जांच आवश्यक है और यदि विद्युत विभाग से अतिरिक्त कोई अन्य स्वतंत्रत जांच एजेंसी इसकी जांच करें तो शायद ज़्यादा बेहतर होगा। क्यूंकि जनहित में की गई शिकायतों पर जांच और उनपर कार्यवाही के प्रति राजीव आर्य का रवैया हमेशा से ही संदेह के घेरे में रहा है। 

मामले की शिकायत हर स्तर पर की जा रही है, जिसमें देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या हमेशा की तरह इस बार भी अधिशासी अभियंता राजीव आर्य सरकार, विभाग और जनता की आँखों में मिर्च झोंक इस शिकायत पर झूठी आख्या प्रेषित करते हैं या दोषियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही करते हैं।

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