जीडीए प्रवर्तन जोन 01 के अभियंताओं की छत्रछाया में संचालित हैं अवैध निर्मित "माउंट ग्रीन फ़ार्म एंड बैंक्वेट"



डाटला एक्सप्रेस संवाददाता

.जोन अभियंताओं के संरक्षण में अनगिनत अवैध निर्मित बैंक्वेट हॉल क्षेत्र में हैं संचालित, उच्चधिकारियों ने साध रखी है चुप्पी। 

.जीडीए को शादियों के सीजन में ही याद आती है सीलिंग और डिमोलिशिंग की कार्यवाही।

.भ्रष्‍ट अधिकारियों की कमाई का एक अहम ज़रीया होते हैं, इस प्रकार के अवैध निर्मित फार्म एवं बैंक्वेट हॉल्स।

गाज़ियाबाद:-जीडीए निर्माण मानकों को ताक पर रखकर लगातार बन और चल रहे अवैध बैंक्वेट हॉलों को लेकर विकास प्राधिकरण के अधिकारी बिल्कुल गंभीर नहीं हैं। हर साल केवल शादियों के सीजन में बैंक्वेट हॉलों को नोटिस जारी किए जाते हैं, मगर आज तक किसी बैंक्वेट हॉल पर ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। प्राधिकरण के अधिकारी भी मानते हैं कि अवैध रूप से बैंक्वेट हॉल बने हैं, मगर कार्रवाई के नाम पर वह चुप हैं। अधिकारियों की खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है।की आखिर ऐसी भी क्या वज़ह है कि प्रशासनिक ताक़त होने के बावजूद भी वह कोई भी ठोस कार्यवाही करने से बचते हैं। 

प्रत्येक वर्ष सीजन के वक़्त विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध रूप से बने बैंक्वेट हॉलों को नोटिस जारी किया जाता है, कइयों को दिखावटी सील बंद और कइयों को जेसीबी का हल्का फुल्का दर्शन करवा दिया जाता है। परंतु बहुत जल्द ही वह सारे बैंक्वेट हॉल पुनः संचालित कर लिये जाते हैं। ऐसा क्यूँ है यह बताने की शायद आवश्यकता नहीं। खास बात यह है कि जब ऐसे अवैध बैंक्वेट हॉलों का निर्माण कार्य किया जा रहा होता है तब प्राधिकरण द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही क्यूँ नहीं की जाती। जब बैंक्वेट हॉल बनकर  संचालित होने लगता है तब नोटिसों की आड़ लेकर मोटा लेन-देन कर उसे जस के तस संचालित करने के लिये छोड़ दिया जाता है।जो भविष्य में क्षेत्रीय अभियंताओं की मासिक उगाही का एक अहम ज़रीया भी बन जाता है। शहर में कई बैंक्वेट हॉल बिना नक्शा पास कराए खड़े कर दिए गए हैं, जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। खास बात यह है कि ज्यादातर बैंक्वेट हॉलों के पास पार्किंग नहीं है। ऐसे बैंक्वेट हॉल सड़कों का इस्तेमाल पार्किंग के रूप में कर रहे हैं। चूंकि ज्यादातर बैंक्वेट हॉल हाईवे पर हैं। ऐसे में शादियों के सीजन में लंबे जाम की स्थिति बन जाती है।

कुछ ऐसा ही आलम गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन एक (01) स्थित माउंट ग्रीन फ़ार्म हाउस (MOUNT GREEN FARM) जो एन.एच  58, सिहानी खुर्द, घूकना, मेन राज नगर एक्सटेंशन रोड, गाज़ियाबाद, उ.प्र पर स्थित है। जिसे वर्षों पूर्व जीडीए निर्माण मानकों के बिल्कुल विपरीत बना आज दिन तक प्रवर्तन जोन एक के अभियंताओं की उदासीनता और भ्रष्‍ट रवैये के चलते संचालित किया जा रहा है।

इस फार्म हाउस के निर्माण में कई सारी अनियमिता बरती गई हैं, जिसे नज़रअंदाज़ कर ना जाने किस लोभ के चलते जीडीए प्रवर्तन जोन एक के अवर अभियंताओं द्वारा वर्षों से अपनी छत्रछाया में इसे संचालित करवाया जा रहा है।

माउंट ग्रीन फ़ार्म के निर्माण में बरती गई अनियमितता को उजागर करते कुछ मुख्य विंदु 

1-अतिथिगृह, बैंक्वेटहाल,रिसार्ट निर्माण की अनुमन्यता महायोजना जोनिंग रेगुलेशंस के अंतर्गत नहीं की गयी है।

2-रिसॉर्ट का 500-पाँच सौ वर्ग मीटर से ऊपर क्षेत्रफल होने के बावजूद भू-आच्छादन 45 प्रतिशत से बहुत ऊपर है।

3-100 वर्ग मीटर तल क्षेत्रफल पर निर्धारित एक कार पार्किंग नियम और पार्किंग के लिए बेसमेंट बनाये जाने के नियम का खुला उल्लंघन हुआ है।

4-रूफ टॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाया गया।

5-जलापूर्ति, ड्रेनेज एवं सैनीटेशन सिस्टम की प्लानिंग बिल्डिंग कोड आॅफ इंडिया 2005 के पार्ट 09 सेक्सन 01 के निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं किया गया है। 

6-अवैध भू-जल दोहन एवं एनजीटी मानकों की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां।

7-कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं लिया गया।

8-हरित पट्टी पर कब्जा करके बनाया गया है पोडियम।

हमारे सूत्र द्वारा बताया गया कि उक्त माउंट ग्रीन फ़ार्म इस क्षेत्र के किसी दबंग और सरकश किस्म के व्यक्ति द्वारा संचालित किया जाता है जिसमें क्षेत्रीय अवर अभियंता का भी उसे पूरा सहयोग प्राप्‍त रहता है।

ऐसा नहीं है कि इस फ़ार्म हाउस के संबंध में जीडीए को पहले शिकायतें प्राप्त ना हुई हो, परंतु गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण का जनहित में की गई शिकायतों को लेकर कुछ ऐसा हाल है कि, जिस अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जाती है वही स्वयं अपनी जांच कर शिकायतों पर आख्या प्रेषित कर देता है। यदि जोन का प्रभारी या कोई अन्य शिकायतों पर जांच करे तो वह उल्टा शिकायतकर्ताओं को ही दुराग्रही, ब्लैक मेलर, पूर्वाग्रह से ग्रसित आदि अपशब्द कह शिकायत की प्रकृति से इतर आख्या प्रेषित कर पूरे मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करता है, जबकि ऐसा हो नहीं पाता। इसी से आप समझ सकते हैं कि जीडीए का हर छोटे से बड़ा कर्मचारी/अधिकारी एक ही चैन का हिस्सा हैं, कोई उससे अलग नहीं।तो भला जीडीए से कोई आम जन न्याय की उम्मीद कैसे कर सकता है।

उक्त पूरे मामले की शिकायत जनपद/मंडल/शाशन स्तर पर की जा रही है जिससे इस प्रकार के भ्रष्‍ट, अकर्मण्य एवं सरकारी नियमों/कायदों को ठेंगा दिखाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध उचित विभागीय कार्यवाही हो सके। हमारे द्वारा भविष्य में भी निरंतर इसी प्रकार जोन के भीतर हो रहे अवैध बैंक्वेट हॉलों के निर्माण और संचालन संबंधी सूचना को आपके समक्ष लाया जाता रहेगा।

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