डग्गामार के आतंक ने किया सबको बेहाल


डाटला एक्सप्रेस संवाददाता

गाज़ियाबाद:-भ्रष्टाचार एक ऐसा शब्द है जिसे सुनने के बाद हम सब के अंतर्मन में एक बात अवश्य आती है कि, यहीं वो दीमक है जिसने हमारी जड़ों को इतना ज़्यादा कमज़ोर कर दिया है कि आज हमारे सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक हर प्रकार के जीवन को यह कहीं ना कहीं प्रभावित कर रहा है। हमारी व्यथा कुछ इस प्रकार है कि हम सुनेंगे, समझेंगे और अखिर में विरोध भी करेंगे परंतु जब समय आता है इस दीमक का एक कठोर उपचार करने का तो हम असमर्थ हो जाते हैं।और सारा दोष राज्य सरकार और उनके सरकारी विभागों पर थोप देते हैं। की यह तो उनकी जिम्मेदारी है, हम भला क्या कर सकते हैं।

किन्तु क्या यह सत्य है। आप अपने मन से पूछे, अपने कार्यों को सरल करने के लिये हम रिश्वत का सहारा लेते हैं, ताकि हमे बिना परिश्रम के ही सब कुछ हासिल हो जाये। 

(कई शिकायतों/दुर्घटनाओं के बावजूद क्यूँ मौन बैठा है सड़क परिवहन विभाग)

(पूरे जनपद में धड़ल्ले से दौड़ रही हैं, सैकड़ों खूनी डग्गामार)

कुछ यही हाल हमारे अपने आज सड़क परिवहन निगम गाज़ियाबाद (RTO GZBD) का है।जहां रोजाना सैकड़ों लोग अपने वाहन संबंधी कार्यों के लिये जाते हैं। कार्यालय में पहुंचते ही वहाँ मौजूद अनगिनत दलाल उन्हें इस प्रकार घेर लेते हैं जैसे वह व्यक्ति कोई बड़ा सेलीब्रिटी हो। आप चाहे अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, गाड़ी की फिटनेस करवाने, गाड़ी ट्रांसफर करवाने आदि किसी भी छोटे/बड़े कार्य के लिए गए हों, बिना चढ़ावा चढ़ाए तो आपका सरल से सरल कार्य भी हो पाना असंभव हैं।जिसे लगभग हर जनपद निवासी भली-भाँति जानता है।और हम भी अपना कार्य सरल करने के लिए घूस का सहारा ले लेते हैं। और उन दलालों को आगे के लिए बढ़ावा देते हैं। 

यह हाल तो कार्यालय KE भीतर का है, परंतु उसके बाहर भी यह विभाग भ्रष्टाचार के लिये कोई कोर कसर छोड़ने को राजी नहीं है। इनके संरक्षण में आज गाज़ियाबाद में सैकड़ों खूनी डग्गामार बसें सड़कों पर बिना किसी रोक-टोक के संचालित हैं। जिनसे आये दिन जनपद में कहीं ना कहीं इन बसों द्वारा हुई दुर्घटनाओं की ख़बरें प्रकाश में आती-रहती हैं।परंतु अपने छोटे से फायदे के चलते आज विभाग यह विभाग इस हद तक गिर चुका है कि, उसे मासूम ज़िन्दगीयों से कोई लेना देना नहीं रह गया। जो इन अनाधिकृत सवारी बसों (डग्गामार बसों) के कारण चली जाती हैं। 

इसी क्रम में प्राप्त सूचना के अनुसार तुलसी निकेतन साहिबाबाद से भोपुरा तिराहे के बीच कुछ ऐसी ही जानलेवा जानलेवा डग्गामार (बिना आदेश प्राप्त) निजी बसों का आतंक स्थापित है।जिन बसों का नंबर कुछ इस प्रकार से है। 





इन बसों को वर्षों से संचालित किया जा रहा है। यह सारी बसें काफ़ी ज़्यादा पुरान और जर्जर हैं, इनके ड्राइवरर्स अअनुभवी एवं अप्रशिक्षित है, इन बसों द्वारा भारी मात्रा में प्रदूषण उत्सर्जित किया जाता है, इन बसों की छतो पर कई क्विंटल समान को भी लोड किया जाता है जिससे दुर्घटना होने की सम्भावना और अधिक बढ़ जाती है। इनके अतिरिक्त अनेकों अनियमितताएं इन बसों को संचालित करने में बरती जा रही हैं। सबसे बड़ी बात की इन बसों को संचालित करने का आदेश भी विभाग द्वारा नहीं दिया गया है, बावजूद इसके इन बसों के मालिक विभाग से अपनी सांठ-गांठ बिठा वर्षों से इन्हें संचालित कर रहे हैं।

उक्त पूरे मामले की जानकारी जनपद/मंडल/शाशन स्तर पर बैठे उच्चाधिकारियों तक पहुंचाई जा रही है। जिससे तत्काल इन बसों को सीज कर इनके मालिकों समेत जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी/विभागीय कार्यवाही की जा सके।

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