भ्रष्टाचार की हद देखें, गाड़ियों को भी नहीं छोड़ रहे हैं, अधिशासी अभियंता










शिकायत पर प्रेषित आख्या 


डाटला एक्सप्रेस संवाददाता

गाजियाबाद विद्युत वितरण खंड डिवीजन चार (04) में तैनात अधिशासी अभियंता द्वारा एसडीओ किशन को बचाने के लिए जनहित में की गई शिकायतों पर झूठी आख्या प्रस्तुत कर सरकार, विभाग एवं आम जनता को गुमराह किया जा रहा है। आपको बताते चले कि हमारे द्वारा एक शिकायत जिसका सन्दर्भ संख्या 40014020039451 है के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को अवगत करवाया गया था कि एसडीओ किशन कुमार जो कि राजेंद्र नगर बिजली घर पर तैनात हैं, के द्वारा अपनी नई गाड़ी मारुति बलेनो को सरकारी कामकाज में ईस्तेमाल किया जा रहा है, और जो विभाग के द्वारा गाड़ी उन्हें मुहैया कराई गई है। उसको सरकारी कामकाज के ईस्तेमाल के लिए ना लेकर अपनी निजी मारुति बलेनो का ईस्तेमाल कर विभाग द्वारा जारी सरकारी गाड़ी के पैसों को हड़पने में लगे हुए हैं। जो गाड़ी विभाग के द्वारा दी जाती है वह गाड़ी डीजल से चलने वाली होती है। परंतु एसडीओ किशन कुमार अपनी प्राइवेट बलेनो जोकि पेट्रोल की है उसको सरकारी कामकाज के लिए ईस्तेमाल कर रहे थे। जो नियमों के विरुद्ध है।

उक्त शिकायत पर अधिशासी अभियंता राजीव आर्य ने बहुत ही भ्रामक और झूठी आख्या प्रस्तुत की है। प्रेषित आख्या में बताया गया है कि ड्राइवर के परिवार में कुछ लोगों को कोरोना हो जाने की वजह से उसको छुट्टी दे दी गई थी और एसडीओ किशन कुमार अपनी प्राइवेट बलेनो गाड़ी से विभाग का कार्य कर रहे थे।जबकि यह सारा मामला बिल्कुल असत्य है। क्योंकि एसडीओ किशन कुमार ने अपने सरकारी कामकाज के लिए कोई भी गाड़ी विभाग से नहीं ली थी।सूत्रानुसार केवल सरकारी पैसे को पचाने के चक्कर में वह अपनी गाड़ी से सरकारी काम कर रहे थे एवं विभाग के द्वारा दिए जा रहे पैसों से अपनी बलेनो गाड़ी की किस्तें भर रहे थे।जब यह बात खुली तो उन्होंने ड्राइवर के परिवार को कोरोना वायरस का बहाना बनाकर शिकायत पर झूठी आख्या राजीव आर्य द्वारा प्रेषित करवा दी,जिसमें राजीव आर्य ने भी उन्हें अपना पूरा सहयोग प्रदान किया। जबकि ड्राइवर द्वारा दिये गये किसी भी प्रकार के प्रार्थना पत्र और किसी भी प्रकार के कोरोना रिपोर्ट को आख्या में प्रेषित नहीं किया गया है।यह सरकारी काम-काज है जिसमें चाहे कोई भी स्थिति हो हर चीज़ का अपना एक प्रक्रिया होती है। वैसे ही कोई छुट्टी लेता है या उसे छुट्टी दी जाती है तो उसके कारणों से संबंधित सभी लेखा-जोखा सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन यहां ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं जो अधिशासी अभियंता राजीव आर्य के कथनों को सत्य कर पाये। इससे साफ होता है की अधिशासी अभियंता ने अपने वर्चस्व को कायम रखने और अपने पद की ताक़त का नाजायज़ फायदा उठा उसकी गरिमा को धूमिल करते हुए जनहित और भ्रष्टाचार से जुड़े इस गंभीर मुद्दे को बहुत ही आसानी से झूठी आख्या प्रेषित कर खत्म कर दिया जो कि बहुत निंदनीय है। 

यह पहला मामला नहीं जिसमें कुछ ऐसा हुआ हो। जब तक इस जोन के भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों पर जांच मिस्टर आर्य द्वारा की जाती रहेगी तब-तक किसी भी प्रकार के न्याय की उम्मीद करना बेमानी होगा। इसीलिए विभाग को चाहिए कि वह इस जोन की शिकायतों की जांच किसी बाहरी अधिकारी से करवाये जिससे आम-जनों का विश्वास सरकार और विभाग पर कायम रहे।

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