आकाश महेशपुरी द्वारा रचित रचना

मुहब्बत की निशानी


मुहब्बत की निशानी ढूँढता हूँ,

वही अपनी जवानी ढूँढता हूँ।


कभी ख़त तो कभी तस्वीर उसकी,

सभी चीजें पुरानी ढूँढता हूँ।


शहर में, गाँव में, सारे जहाँ में,

छुपा चेहरा नूरानी ढूँढता हूँ।


जो करता था मेरी रातें सुगंधित,

वही मैं रातरानी ढूँढता हूँ।


वही मैं ढूँढता हूँ प्यार उसका,

वही बारिश का पानी ढूँढता हूँ।


भले कंकर हुई है जिंदगानी,

नदी सी मैं रवानी ढूँढता हूँ।


दिलों के जो समुंदर में उठी थी,

वही फिर से सुनामी ढूँढता हूँ।


मिले पुस्तक अगर ‘आकाश’ कोई,

मुहब्बत की कहानी ढूँढता हूँ।



-आकाश महेशपुरी

कुशीनगर, उत्तर प्रदेश.

मो- 9919080399


प्रस्तुति:-डाटला एक्सप्रेस

वाट्सएप्प:-8800201131

ईमेल:-datlaexpress@gmail.com

Comments
Popular posts
मुख्य अभियंता मुकेश मित्तल एक्शन मे, भ्रष्‍ट लाइन मैन उदय प्रकाश को हटाने एवं अवर अभियंता के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के दिये आदेश
Image
दादर (अलवर) की बच्ची किरण कौर की पेंटिंग जापान की सबसे उत्कृष्ट पत्रिका "हिंदी की गूंज" का कवर पृष्ठ बनी।
Image
साहित्य के हिमालय से प्रवाहित दुग्ध धवल नदी-सी हैं, डॉ प्रभा पंत।
Image
गुजरा बचपन न लौटे कभी
Image
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image