इसी अंत से फिर शुरुआत होगी
1. तुम भी चलो फिर से, हम भी हैं चलते-
बुलंदी पर इक दिन, मुलाक़ात होगी,
तेरे साथ 'तुम' हो, मेरे साथ 'मैं' हूँ-
क्या इससे बड़ी कोई सौगात होगी,
जो आया गया उसका क्या सोग करना-
अभी ज़िन्दगी में बहुत कुछ है बाक़ी,
जिसे अंत अपना समझकर हो बैठे-
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
2.अभी इब्तिदा है तेरे जंग की ये-
तेरी इन्तेहा जाने क्या रंग लाये,
शिद्दत से लड़कर जो हारे तो क्या है-
फ़तह से वो बेहतर तेरी मात होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
3.जो गर हाथ पर हाथ रख करके बैठे-
तो इससे बुरी और क्या बात होगी,
बहने पर दरिया है, रुकने पे नाला-
सो मरने से बदतर तेरी ह्यात होगी.
इसी अंतर से फिर शुरुआत होगी....................
4.अंधेरों का आदी होने से पहले-
उजालों के बारे में, तुम फिर से सोचो,
यही सोच सब कुछ बदल देगी तेरा-
तभी रोशनी से भरी तेरी पाथ होगी.
इसी अंतर से फिर शुरुआत होगी....................
5.तुम कट गए हो या काटे गये हो-
सबब कुछ भी हो, पर अकेले तो हो ही,
तन्हाई को तुम अपनी फ़ुर्सत बना लो तो-
फिर से मोहब्बत की बरसात होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
6.तुम्हारी असलियत के बदले तुम्हें जो-
बहाने बनाने के ताने हैं देते,
अगर तुम दुबारा खड़े हो गये तो-
उस बद्ज़ुबानी पे ये लात होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
7.चलन तुम ज़माने का कुछ जानने में-
जो ग़ाफ़िल हुए हो तो क्या हो गया है,
चला क्या गया तुम फ़िकर उसकी छोड़ो-
समय की नबज़ फिर तेरे साथ होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
8.मंज़िल का सिर्फ भ्रम है, रस्तों की है ये दुनिया-
चलना है तेरे वश में,उसका ही जतन करना,
हिक़मत की राह चलके, गर सर्फ़ हो गये तो-
इस ज़िन्दगी से बेहतर तेरी वफ़ाक होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
9.पढ़ लो सभी किताबें तुम दीनी-दुनियावी-
हर एक मुसीबत पर इन्सान हुआ हावी,
तेरे ही साथ तेरी तक़दीर चल पड़ेगी-
फिर तेरा जश्न होगा, तेरी बरात होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
10.नहीं है ये तेरी, नहीं है ये मेरी-
असल में तो है ये हमारी कहानी,
सफ़र हम जो फिर से, शुरू कर सके तो-
नया दिन भी होगा, नयी रात भी होगी.
इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................
स्वर्गीय श्री "राजेश्वर राय दयानिधि"