स्वर्गीय श्री राजेश्वर राय "लेखक एवं संपादक दैनिक ट्रू टाइम्स एवं डाटला एक्सप्रेस समाचार पत्र" के कविता भंडार से प्रस्तुत कुछ पंक्तियां

 

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी 



1. तुम भी चलो फिर से, हम भी हैं चलते-

बुलंदी पर इक दिन, मुलाक़ात होगी, 

तेरे साथ 'तुम' हो, मेरे साथ 'मैं' हूँ-

क्या इससे बड़ी कोई सौगात होगी, 

जो आया गया उसका क्या सोग करना-

अभी ज़िन्दगी में बहुत कुछ है बाक़ी, 

जिसे अंत अपना समझकर हो बैठे-

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


2.अभी इब्तिदा है तेरे जंग की ये-

तेरी इन्तेहा जाने क्या रंग लाये, 

शिद्दत से लड़कर जो हारे तो क्या है-

फ़तह से वो बेहतर तेरी मात होगी. 

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


3.जो गर हाथ पर हाथ रख करके बैठे-

तो इससे बुरी और क्या बात होगी, 

बहने पर दरिया है, रुकने पे नाला-

सो मरने से बदतर तेरी ह्यात होगी. 

इसी अंतर से फिर शुरुआत होगी....................


4.अंधेरों का आदी होने से पहले-

उजालों के बारे में, तुम फिर से सोचो, 

यही सोच सब कुछ बदल देगी तेरा-

तभी रोशनी से भरी तेरी पाथ होगी. 

इसी अंतर से फिर शुरुआत होगी....................


5.तुम कट गए हो या काटे गये हो-

सबब कुछ भी हो, पर अकेले तो हो ही, 

तन्हाई को तुम अपनी फ़ुर्सत बना लो तो-

फिर से मोहब्बत की बरसात होगी. 

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


6.तुम्हारी असलियत के बदले तुम्हें जो-

बहाने बनाने के ताने हैं देते,

अगर तुम दुबारा खड़े हो गये तो-

उस बद्ज़ुबानी पे ये लात होगी.

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


7.चलन तुम ज़माने का कुछ जानने में-

जो ग़ाफ़िल हुए हो तो क्या हो गया है,

चला क्या गया तुम फ़िकर उसकी छोड़ो-

समय की नबज़ फिर तेरे साथ होगी.

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


8.मंज़िल का सिर्फ भ्रम है, रस्तों की है ये दुनिया-

चलना है तेरे वश में,उसका ही जतन करना,

हिक़मत की राह चलके, गर सर्फ़ हो गये तो-

इस ज़िन्दगी से बेहतर तेरी वफ़ाक होगी.

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


9.पढ़ लो सभी किताबें तुम दीनी-दुनियावी-

हर एक मुसीबत पर इन्सान हुआ हावी,

तेरे ही साथ तेरी तक़दीर चल पड़ेगी-

फिर तेरा जश्न होगा, तेरी बरात होगी.

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................


10.नहीं है ये तेरी, नहीं है ये मेरी-

असल में तो है ये हमारी कहानी,

सफ़र हम जो फिर से, शुरू कर सके तो-

नया दिन भी होगा, नयी रात भी होगी.

इसी अंत से फिर शुरुआत होगी....................



स्वर्गीय श्री "राजेश्वर राय दयानिधि" 


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