निधि बिल्डर्स के अवैध निर्माणों की श्रृंखला में शामिल हुई एक और अवैध बिल्डिंग


मामला: जीडीए प्रवर्तन जोन 07, प्लाट संख्या सी-12 शालीमार गार्डन एक्सटेंशन -02, साहिबाबाद, ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश


डाटला एक्सप्रेस 
rajeshwar.azm@gmail.com


गाज़ियाबाद: हमारे देश की सबसे बड़ी विडम्बना ये है कि यहाँ कितने भी कानून कायदे बना दो कभी न तो अवैध कार्य रुकेंगे ना भ्रष्टाचार। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि सरकारी सिस्टम में बैठे हुए लोग ही जनता को नियम तोड़ने के नुस्खे देते हैं, उन्हें अपनी ऊपरी आमदनी बढ़ाने के चक्कर में पूरा संरक्षण भी देते हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में अवैध निर्माणों और ध्वस्तीकरण को लेकर हो रहा है।जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा निरंतर मिटिंग्स और आंतरिक स्थानांतरणों में जी जान से लगी हुई हैं, लेकिन भावी स्मार्ट सिटी गाज़ियाबाद में न तो अवैध निर्माणों का सिलसिला रुक रहा है, न अतिक्रमणों का। प्राधिकरण के दस्तावेज़ों में ध्वस्त और सील्ड बिल्डिंग्स धड़ल्ले से अभियंताओं की कृपा और छत्रछाया में बन रही हैं, बिक रही हैं।


इसी क्रम में शालीमार गार्डन 02 (जीडीए प्रवर्तन जोन - 07) के सी-12 नंबर प्लाट पर निधि बिल्डर्स द्वारा निर्मित कराई जा रही बिल्डिंग में तमाम खामियों के बावजूद भी जोन 07 के उदार अभियंता धृतराष्ट्र बने हुए हैं। गौरतलब हो कि उक्त बिल्डिंग निर्माण में निम्न प्रतिमानों का उल्लंघन हो रहा है.....


1- निर्धारित सीमा से एक अतिरिक्त मंजिल का मानचित्र के बिल्कुल विपरीत हो रहा है अवैध निर्माण और साथ ही संस्तुति से ज्यादा बनायी गयी हैं यूनिट्स। 


2- FAR एवं सैटबैक नियमों का किया गया है उल्लंघन यानि निर्धारित से अधिक क्षेत्र को कवर करके किया गया है निर्माण व पार्किंग के लिए नहीं छोड़ी गयी है जगह। 


3- कम शमन पर ज्यादा किया गया और किया जा रहा है अतिरिक्त निर्माण।निर्धारित से अधिक रखी गयी है बेसमेंट की गहराई। 


4-बिना नक्शा पास हुए ही अवैध शॉप्स का निर्माण किया जा रहा है तथा पार्किंग की जगह पर बना लिए गये हैं फ्लैट्स। 


5-निर्धारित से कई गुना अधिक छज्जों की चौड़ाई जो चित्र में साफतौर पर देखी जा सकती है। 


(6)-बिना आदेश किया जा रहा है अवैध भू-जल दोहन, रास्ते को घेर बना लिया गया है पोडियम एवं निर्धारित सीमा के अनुसार नहीं लगाए गए हैं पेड़।


7- एनजीटी के आदेशों और निर्माण प्रतिमानों को धता बताते हुए नहीं बनाया गया वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तथा खुले में हो रहा है निर्माण। 


8- बिना कंप्लीशन सर्टीफिकेट के ही बेचे जा रहे हैं धड़ल्ले से फ्लैट्स। 


बताते चलें कि ये वही निधि बिल्डर्स के कर्ता-धर्ता चौधरी धर्मपाल हैं जो कुछ वर्षों पहले टूटी स्कूटर से घूम-घूम कर बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई करते थे, परंतु कुछ नेताओं और ब्लैक मनीवालों के संपर्क में आने और जीडीए इंजीनियर्स से सही तालमेल बैठ जाने के कारण एक दशक से भी कम समय में शालीमार गार्डन क्षेत्र में दर्जनों अवैध इमारतों का ज़ख़ीरा खड़ा कर दिया और अब करोड़ों का सिंडिकेट चला रहे हैं। ये प्रकरण अवैध निर्माण से ज्यादा ब्लैक मनी लांड्रिंग का है। चौधरी धर्मपाल सिंह अपना सारा धंधा दूसरे और कई नामों से भी चलाते हैं। चौधरी धर्मपाल और उनके 'निधि बिल्डर्स' के अवैध निर्माणों के संबंध में जीडीए प्राधिकरण और मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश कार्यालय को सूचित करा दिया गया है, अब देखने वाली बात होगी कि इस बिल्डर माफिया के खिलाफ़ शासन और प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।


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