हिन्दोस्तान का लाल


वो आज भी उमीद में बैठा है कि बेटा आयेगा 
ऐसा कैसे हो सकता है की वो हमें छोड़ कर जायेगा 
क्या उसे मालूम नहीं की वो मां आज सिसकती है 
वो पिता अंदर से घुट कर टूट जायेगा । 
धोखे से पैर पढ़ गए थे उसके ग़ैर वतन में 
न था मालूम की वो ज़ालिम, साज़िश में फंसायेगा 
आज बीते कई साल छोड़ कर इस अपने वतन को 
उम्मीद रखता हूँ तू हिन्दुस्तानी है तू वापिस आयेगा 
हो जायेगी नाकाम हरामी दुश्मनों की चालें 
तू आकर भारत का नाम बढ़ायेगा 
रहम कर ऐ बुजदिल, निहत्थे को मत डरा 
एक दिन वही तेरा खौफ बन जायेगा 
न रह पायेगा तू सकून से भी वहां पर 
नाम सुन इसका तेरा कलेजा फट जायेगा 
कर दिया जो ज़ुल्म इस पर जी भर के 
एक दिन देख सूरत देख इसकी तू दफन हो जाएगा 
जिस पर दुआ बरस रही हो उसके मुल्क की 
तू उसका कुछ भी न बिगाड़ पाएगा 
वो लाल है हिन्द का, ये सुन ले 
वापिस हिन्दोस्तान ही आएगा ।।
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रचनाकार-  दिलाराम भारद्वाज 'दिल' 
आनी, कुल्लू (हि. प्र.) #8278819997
प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस 16/08/2019


 


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