दयानिधि अब तो लो अवतार...! 

दयानिधि अब तो लो अवतार...! 
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पाप बढ़ा जब-जब धरती पे आये बारंबार 
एक बार फिर इस धरती को है तेरी दरकार
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1101- नारी/29.06.2019/sat./am7:28/gzb. 


जो अपने सौ रूपों में इस जग को जीवन देती है, 
जिसकी शीतल छाँव हज़ारों दर्दों को हर लेती है, 
जिसका साथ सुहाना जीवन तनहा ना होने देता-
और  अभावों  में  भी जो घर रूपी नैया खेती है, 
दुख होता जब उस जननी को जिससे दुनिया क़ायम है-
कुछ  दासी  समझें, कुछ  समझें  तन का  बस आहार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1102- कविताकार/30.06.19/sun./3:12am/gzb. 


नींद न आती थी रातों को तन की कई बिमारी से, 
बहुत व्यथित रहता था अपने ठालेपन-लाचारी से, 
बीते  दिन की यादें मन मथती रहती थीं मथनी ले-
सो आजिज़ हो गया बहुत था उनकी मारामारी से, 
ऐसे में अवसादग्रस्त मन को अवकाश दिलाने की-
धुन में मैं बन गया सहज ही, लेखक-कविताकार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1103- मानव/30.06.19/sun./8:09am/gzb.


जहाँ  मूर्तियों  में ये मानव प्राण प्रतिष्ठा करता है,
वहीं यही, ज़िन्दों  को  अपने  पैरों  नीचे दरता है,
जो पनाह दें इसको उसकी जड़-शाखें सारी काटे-
पर जो लतियायें उनके दर कुक्कुर जैसा मरता है,
नये-नये दोगले रूपों में इसे देख के मैं सोचूँ- 
हाय राम इसका चरित्र है कितनी परतोंदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1104-जुमला/30.06.2019/sun./am/gzb. 


कब तक पिछले क़िस्सों को गिनवाके बढ़त बनाओगे,
ऐसा ही होगा तो मोदी............फिर से कैसे आओगे,
यदि  ना  ये  विधवा विलाप तज, कड़े फ़ैसले लोगे तो-
तुम्हीं बताओ कब तक बस जुमलों से काम चलाओगे,
गलत नीतियां नेहरू की थीं, इंद्रा देश डुबो डालीं-
उनको  छोड़ो, तुम  क्या करने वाले हो अब यार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1105- कॉपी-पेस्ट-फारवर्ड/1.7.19/mon/5am/gzb.
 
लाखों  उपदेशक  कल  बन के पागल ठाले डोलेंगे,
चिंतक  अपने  ज्ञानसुधा  की  नहीं  चाशनी घोलेंगे, 
कई   लेखकों - कवियों   को  ठकमुर्री  मारेगी ऐसे-
कि वो अपनी चोंच नहीं सोशल मिडिया में खोलेंगे, 
कॉपी-पेस्ट-फॉरवड का यदि ख़त्म अॉप्शन हो जाये-
तो अमीर नवज्ञानी सब.............हो जायेंगे नादार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1106- लोकाचार/02.07.19/tue./5:24am/gzb. 


अल्लिफ-बे-पे-ते ना जाने तो भी चर्चित क़ारी है,
सारे  सम्मानों - मंचों  पर उसका क़ब्ज़ा जारी है,
जोड़-तोड़ में है इतना उस्ताद राज की मत पूछो-
पोंगा  हो  करके  भी साला सौ पंडित पे भारी है,
जो भी हो पर एक सबक़ तो उससे मैंने ये सीखा-
नाम - दाम  पाना  है  तो  कुछ  सीखो लोकाचार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1107-भाईचार/02.07.19/tue./6:49am/gzb. 


कैराना से भाग गये, मेरठ से अब हैं भाग रहे, 
तो भी हम हिंदू सोये हैं,नहीं नींद से जाग रहे,
काश्मीर-बंगाल-केरला को देखो आँखें खोलो-
मुल्ले  जहाँ  चढ़े  सीनों पे नये देश हैं माँग रहे,
दिल्ली में भी मंदिर तोड़ रहे जो नारे दे दे के-
उनका  करो  सामना, छोड़ो  झूठा भाईचार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1108- उद्धार/03.07.19/wed./8:35am/gzb.


माताजी चल गयीं, और वैसे भी जीके क्या करतीं, 
ख़ामख़ाह उस गँवईं घर में बाबू बिन ज़िन्दा मरतीं, 
माना हम  मेहरे  भाई   रख लेते दयाभाव वश गर-
तो  भी  बहुओं  की  लतियाई रोटी से उदरा भरतीं, 
हम जैसे कमीन बेटों के बूढ़े माँ-बापों का अब-
जितने  जल्द  हो  सके, मरने  में ही है उद्धार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1109- स्वस्थता/03.07.19/wed./9:25am/gzb. 


ए.सी. की एअर मत लेना, फ्रिज का पानी ना पीना, 
चढ़ने  को  प्रयोग में लाना लिफ्ट छोड़ करके ज़ीना,
दूध-मशाला-तेल-मीट-मछली-घी तज दो कल से ही-
क्योंकि  स्वस्थ रहोगे तब, जब जीओगे इनके बीना,
ऐसा ज्ञान बताने वालों को बस ये बतलाऊँगा-
इनके बिन जी रहे करोड़ों, फिर भी हैं बीमार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1110- गाँधी/04.07.2019/thu./4:10am/gzb.


गाँधी ने इस देश-जाति से बदला काफी गहन लिया,
नाक़ाबिल नेहरू को उसने हठकर पीएम बना दिया,
अंग्रेजों  का  पिट्ठू, झूठा  सत्य - अहिंसा  का हामी-
कभी  भगत-सरदार सरीखे लोगों का ना मान किया, 
अतिशय काम अग्नि का मारा वो हिंदूद्रोही गाँधी-
भारत   के   बँटवारे   का   है, असली जिम्मेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1111- कछार /04.07.2019/thu./5:23am/gzb. 


आगे - पीछे से जमतीं जो उपले गाँव छोपती थीं, 
वो भी लगीं कटीली जो मर्दों पे कभी कोपती थीं,
आगे  से  स्तन, पीछे  से  मैं  नितम्ब देखा करता-
जब मजदूरिन घोड़ी बन खेतों में धान रोपती थीं,
फँसी हुई फाँकों में साड़ी उन गवईं महिलाओं की-
दिल  का  दर्द  बढ़ा देती, जब चलतीं मार कछार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1112- लेखनदोष/05.07.2019/fri./1:13am/gzb.


लिंग-वचन तक ना जानें जो चले हैं नोबेल लेने को, 
अपनी बात बड़ी करने खातिर तत्पर ठकठेने  को, 
समझें   नहीं  फ़र्क  जो स-श-रि-ऋ-ग्य-ज्ञ-ड़-ण में-
वो   भी  मरे  जा  रहे हैं, दुनिया को भाषण देने में, 
संबोधन-कामा-विराम-सामासिक चिह्न-प्रश्नवाचक-
सहित छोड़ते लिखने में सब स्लैस-चाँद-अनुस्वार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1113- स्वार्थी/05.07.2019/fri./4:48am/gzb.
 
क्यूँ ना चालें चलूँ, मुझे भी आखिर जीना-खाना है, 
बच्चों की शिक्षा-दिक्षा, घर का भी खर्च चलाना है,
सो दुनियाबी आदर्शों की सड़ी - गली सीढ़ी चढ़के-
भूखे - नंगे - मरते - खपते  नहीं  जहां से जाना है, 
इस दुनिया की छोड़ो ये बस ज्ञान बाँटती आई है-
याची  बन  माँगो  कुछ  तो, देती  है   लाफामार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1114- समलैंगिक/05.07.2019/fri./5:51am/gzb. 


लड़के-लड़के शादी करके अपना खोंता बसा रहे, 
कुदरत के बिरुद्ध जा करके, गुदाद्वार में धँसा रहे,
कंधे   से  कंधा  देने  में, कहाँ  लड़कियाँ  पीछे हैं-
सो  ये बाबू भी आपस में खुलेआम लसलसा रहे,
चलो लवंडे माना कुछ तो ठूस-ठास कर लेंगे ही-
पर  कुड़ियां  कैसे  पायेंगी, अपना  पानी  झार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1115-लिपिक /05.07.2019/fri./7:56am/gzb.


लेते  घूस  धराया  था  फिर  घूस चुका के आया हूँ, 
सिस्टम  का हिस्सा बनके मैं काफी माल उड़ाया हूँ,
कहने को हूँ लिपिक एक पर है औकात करोड़ों की-
क्योंकि  हर ठेकों - अनुदानों में मैं प्रतिशत पाया हूँ, 
मेरी मर्ज़ी बिना नहीं अॉफिस-अफ़सर हैं हिल पाते-
ना ही चल पाते............व्यापारी-बिल्डर-ठेकेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1116- राज/06.07.2019/sat./4:24am/gzb. 


दूबे  भैया  'राज'  तुम्हारे  आज  सुबह से छान रहे,
धूम  मचाये हैं घर में कुछ नहीं किसी को जान रहे, 
फोन करी थी इसीलिए कि आके तुमही समझाओ-
क्योंकि यार लंगोटिया तुम्हरे, बात मेरी ना मान रहे, 
ग्यारह सौ पद 'दयानिधि' के हो जाने की एवज़ में-
बोल रहे दावत होगी अब...........इक हंगामेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1117- सशक्तिकरण/06.07.19/sat./am/gzb. 


अपनी मर्ज़ी से बन करके ये रखैल खुद रहती हैं, 
पकड़ गयीं तो 'रेप हो रहा था उनसे' ये कहती हैं,
कई अधेंड़ स्त्रियाँ नाबालिग लड़कों से ठोंकवायें-
मगर 'पाक्सो' की पीड़ा भूले से कभी न सहती हैं,
लड़का गर संबंध बनाके ब्याहे ना तो केस बने-
ये  चाहें  तो  कर सकतीं भजवा के भी इन्कार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1118- JSR (JAI SRI RAM) /6.7.19/sat/6pm/gzb


मुस्लिम  लोगों  को  बढ़ने का मौक़ा ख़ूब दे रही है
हिंदी - हिंदू धर्म - हिंद  से  बदला  रोज़   ले रही है,
दग़ा दे रही दिल्ली को, दिल ढाका में है ढुका हुआ-
और  बता  के  धता सभी को अपनी राग टे रही है,
जैसे साँड़ लाल कपड़े औ' आग किरोसिन से भड़के-
वैसे  भड़क  रही ममता, सुन करके जे०एस०आर०।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1119- मॉब लिंचिंग/06.07.2019/sat/9pm/gzb. 
 
मेरे  बीवी - बच्चे  मुझसे  बदला  जैसे लेते हैं,
हर बातों में नुक़्स काढ़ते, भाषण डेली देते हैं, 
बहुत बॉदरेशन बीवी बरपाती है बरबर करके-
ऊपर  से  ये  जॉबहीन  बच्चे  भी साले नेते हैं, 
मेरे ही घर में मेरी हो रही मॉब लिंचिंग जम के-
दिल करता है छोड़छाड़, मैं चल दूँ ये घर-बार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1120-घरतोड़नी/07.0702019/sun./2:50am/gzb. 


मान - मर्तबा - मनी मिले तो जहां कहीं हो आती हैं, 
प्रॉफिट  दीख  रहा हो तो, बुड्ढों तक से पट जाती हैं,
पुरुषों को ठरकी-छिनरा-जोइला-अय्याश बतायें पर-
खुद  मैरिड  मर्दों से मैरिज कर, घर में घुस जाती हैं,
हेमा-जया-शबाना-स्मृति-श्रीदेवी  को ही देखो-
जिनने छिन्न-भिन्न कर डाले, बसे हुए परिवार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1121- अहम्/08.07.019/mon./6:23am/gzb. 


चादर  की  लम्बाई  से बढ़कर पैरों को ताना है, 
दुनिया के आदेशों - उपदेशों को ना ही माना है,
ऊँचा जाने की चाहों ने अंधा मुझको बना दिया-
जिससे अपनो की भी सूरत ना मैंने पहचाना है, 
सो अब आहत अहम्-अधूरे अरमां-अवसादों को ले-
दायम  पड़ा  हुआ  हूँ,  बिन  हरकत  के मैं थकहार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1122- गोबरद्वार/08.07.19/mon./6:40pm/gzb.


कई  पुरुष  मुश्किल  कर  डाले  हैं मेरा जीना-मरना, 
लगता  है  उनके जिम्मे कुछ काम नहीं करना-धरना,
इतनी  चुम्मी, इतने  अॉफर, इतना  लव  यू बोलें कि-
नहीं चाह करके भी मुझको पड़ता उन्हें ब्लॉक करना, 
आज बताता हूँ मेरी नर माशूकाओं तुम सुन लो-
नहीं मारने वाला हूँ मैं...........तुम्हरा गोबरद्वार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1123- जनसंख्या/09.07.19/tue./5:05am/gzb. 


भारत की जलवायु बहुत प्रजनन की खातिर उत्तम है, 
सर्दी - गर्मी - वर्षा  के  संग  फागुन  की  हल्की नम है, 
इन  मुफ़ीद  मौसम - ऋतुओं  में  पूरे  वर्ष मिलन होते-
जिससे जनसंख्या घटने की आशा तो बिल्कुल कम है,
जहाँ करोड़ों योनि रात को रोज़ निषेचित होती हों-
वहाँ नहीं रुक सकती है.......बच्चों  की  पैदावार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1124- सिलसिलेवार/09.07.19/tue/6:06am/gzb. 


पूरी  दुनिया  में  मारे  जा  रहे  हैं ये दौड़ा - दौड़ा,
पहले शरणागत बन बसते फिर जीते होके चौड़ा,
इतनी  हवस  इन्हें परचम इस्लामी फहराने की है-
कि ये चाह रहे करना दुनियाभर का कटहा लौंड़ा,
ख़ुद को शांतिदूत कहने वाले ये मोमिन असली में-
देख   रहा  हूँ  फोड़  रहे  बम, रोज़  सिलसिलेवार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1125-सूबेदार /09.07.19/tue./7:19am/gzb. 


मेरे   मित्र  न  जाने  कैसे,  पैसे   इतने  कमा लिए,
कोठी-कटरा-शॉप-माल-व्यापार-प्रतिष्ठा जमा लिए,
ऊपर  से  तो दीन - हीन बन कर थे बर्षों साथ मेरे-
लेकिन  साले  अन्दरखाने काफी दौलत समा लिए,
मैं तो पीने और पिलाने भर का ही हो पाया हूँ-
लेकिन  ये  आसामी  कल के, अब हैं सूबेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1126- माँ शारदे/10.07.2019/wed./5:12am/gzb. 


जो भी है मुझपे माँ वो करता हूँ तुझपे मैं अर्पण, 
तू   ही   मेरी  ज्ञानदात्री, तू  ही  मेरा  मन दर्पण,
तेरे  ही  आशीषों  से, सम्मान  हमारा  जग में है-
और तुझी से जीवन है, तुझसे ही होना है तर्पण,
मातु शारदे, तुमने धन जो ज्ञान-बुद्धि का दिया मुझे-
उसके आगे लगते हैं..............कारूँ-कुबेर बेकार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1127-बेग़मपुर/10.07.2019/wed./7:34pm/gzb. 


मेरे जीवन का मक़सद, बस हँसना और हँसना है, 
मित्रों की सेवा करना कुछ खाना और खिलाना है,
जीवन तो ग़म-ग़ुस्सा-ग़ुरबत हरदिन ही ले आयेगा-
लेकिन मुझको इसमें ही मधुरिम् संगीत बनाना है,
मेरा दर बेग़मपुर है ना यहाँ उदासी-ग़म ठहरें-
ना  ही  गेह  जलाने वाली मिलतीं यहां शरार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1128- सभ्याचार/11.07.19/thu./1:22am/gzb. 


माननीय अपने चरित्र का डंका हर दिन पीट रहे, 
जूतों-घूसों से कुछ को, कुछ को बैटों से बीट रहे,
कालिख पोतें, कीचड़ फेंकें,गाली देने के ही संग-
अस्त्रों-शस्त्रों को लहराके अहम् भाव ये छीट रहे,
ऊपर से भाषा निकृष्ट सुनके इनकी लगता ऐसे-
जैसे  भूल   चुके  हों  ये, दुनिया  के सभ्याचार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1129-योगीयुग/11.07.19/thu./2:34am/gzb.
 
योगी  के सीएम होने से यूपी कुछ महफ़ूज हुआ, 
नहीं उठा सर अभी पा रहा, कोई गुंडा-लंठ मुआ,
पिछले सपा काल में जो माफिया मौज में घूम थे-
उनमें से टपके काफ़ी तो कुछके पीछे घुसा सुआ, 
जो अपहरण-लूट-मर्डर-रंगदारी करते थे कल तक-
उन्हें ठोकने की सूची...........बन रही है थानावार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1130-दयानिधि/11.07.19/thu./7:23am/gzb. 


अपनी नयी सोच लाया, अपना बोया अपना जोता,
बलवा  बहुतों से करके महफ़ूज़ रखा इसका सोता, 
मेरे  पद   विधान  की  चोट्टे शल्यक्रिया ही कर देते-
गर   इतना   निर्दयी-सख़्त-झगड़ालू-नंगा  ना होता,
ना रवायतों की रखैल मैं, ना कोई मुर्शिद मेरा-
"दयानिधि"  से  ही होता, मुझमें  अंत:संचार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1131- काँग्रेस/11.07.19/thu./3:57pm/gzb. 


गोल हो गया गोआ से कर्नाटक कर से निकल गया
इस  बेचारे  राहुल  का, कोई  ना अपना सगा भया,
हारा  सीट  अमेठी, कुर्सी  भी  विपक्ष की ना पाया-
लगता  है अब काँग्रेस से नहीं किसी को मोह-मया,
एक नया अध्यक्ष पार्टी ढूँढ़ नहीं पायी अबतक-
ना  ही दीख रहा इसमें, नवजीवन का आसार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1132- दिल्ली /12.07.19/fri./7:24am/gzb. 


पौने  चार  करोड़  हो गयी, है  जनसंख्या दिल्ली की, 
चौबिस पहर मुसीबत रहती धूएँ-चिल्लम-चिल्ली की, 
ज़र  से या जबरन वो जगहें भी लोगों ने ज़ब्त किया-
जो खतौनियों  में दाखिल थीं, बंदर-कुत्ते-बिल्ली की, 
ट्रैफिक जाम,पटे कूड़े, ड्रेनेज भी सारे फेल हुए-
और पूज्य यमुना जी रही हैं, सड़ के बदबूमार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1133- सुकुमार/12.07.2019/fri./11am/gzb. 


बेटे आँख दिखाना ना, मैं तेरा दिया खा रहा थोड़ी, 
बीवी को बोली सिखलाओ जो हो रही चाभ घोड़ी, 
माँ का मान करो, अपमान हमारा भूले मत करना-
वर्ना   खोरा   पकड़ा  दूँगा, गर  मैंने  नज़रें  मोड़ी, 
मैं वो बाप नहीं जिसको बेटे-बहुएं मूका मारें-
मेरी इन हिदायतों को पल्ले धर लो सुकुमार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1134-वीणावादिनी/12.07.19/fri./11pm/gzb. 


तेरे  ही  कारण  माँ  मुझ  पे, मेधा  का जो वैभव है,
उसके  ही  नाते  शिव  हूँ, वर्ना जीवन ज़िंदा शव है,
मान-शान-धनधान-प्रान-गुणगान तुम्हीं से हासिल है-
और अंधेरे  उर में आलोकित हर क्षण तुम से लौ है,
हे वीणावादिनी हाथ हरग़िज़ ना कभी छोड़ना तुम-
वर्ना पूत तुम्हारा ये............बह जायेगा मझधार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1135-आत्मज्ञान/13.07.19/sat./4:10am/gzb. 


लिखने से ज़्यादा हमने, पढ़ने पे ध्यान लगाया है, 
तब  जा  के  गहरे  सागर से थोड़ा मोती पाया है,
ज्ञान विश्व का लेते-लेते आत्मज्ञान जो मिला मुझे-
उसे अभी जीवन के विश्लेषण में खूब खपाया है,
गूढ़ ज्ञान जो इन सारी बातों से पाया ये है कि-
ना कोई विचार अंतिम है, ना ही आविष्कार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1136- सब्ज़ी/13.07.19/sat./5:10am/gzb.


दे डाई - पोटाश - यूरिया सब्ज़ी अभी उगाते है,
जल्दी  बढ़ने  खातिर इनमें, सूई साठ लगाते हैं,
ज़हरीले नालों-नदियों के पानी से सिंचन करके-
तब बाज़ारों में इनको बिक्री की खातिर लाते हैं,
तेल-रंग-केमिकल ना जाने क्या-क्या पोत-पात करके-
बिकने से पहले होता.............इनका सोलह सिंगार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1137-बदला/13.07.19/sat./7:46am/gzb. 


कितने निंदक-आलोचक लोगों से तुम बदला लोगे, 
किन  विरोधियों  को मारो - पीटोगे - मृत्युदंड दोगे, 
दुनिया  का  दस्तूर  पुराना  ये  है  कि जितने आये-
सम्मानित  भी  हुए और अपमान साथ में भी भोगे, 
इस उलझन में इतनी ऊर्जा उत्स करो मत मीत मेरे-
बस अपनी राहों पे................रेस भरो फर्राटेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1138- सतभतरी/14.07.19/sun./5:25am/gzb. 


कुछ  के कारण, पूरे पुरुषों को कर देती लतरी हैं, 
जबकि  स्वयं  नक़ाबों  के अंदर ये जूठी पतरी है,
वो चरित्र का चिट्ठा जब बाँटें तो बड़ा ताज्जुब हो-
जो ख़ुद राजपत्रधारक अव्वल दर्जा सतभतरी हैं,
इनके ही हैं क़दम मुबारक, ये ही पाक-साफ़ केवल-
बाक़ी  हैं सब पुरुष नीच - कामी - निर्दय - पयदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1139-भ्रष्टाचार/15.07.19/mon./3:51am/gzb. 


पत्रकार  लोगों को अब, ख़बरंडी बोला जाता है, 
सबसे ऊँचा न्यायालय सुप्रिम कोठा कहलाता है, 
सीबीआई वो पोपट हो गया बके सब कुछ वो ही-
जो पीएम दफ़्तर उसको तोते की तरह रटाता है,
सभी संस्थानों की सेवायें संदिग्ध हो गयी हैं-
इतना फैल चुका है, भारत भर में भ्रष्टाचार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1140-नेता/15.07.2019/mon./4:42am/gzb. 


पढ़े - लिखे   होकर   भी   ये, वाणी  से  पूरे  डंकी हैं, 
उछल - कूद  में  इनके  आगे, फेल  हो  गये  मंकी हैं, 
संसद से सड़कों तक इनका चाल-चलन गर देखो तो-
साबित  हो  जाता  है  कि  ये  टॉप  क्लास नौटंकी हैं,
झूठ-फरेबी-मक्कारी-बलबाहु-बात गहने इनके-
और  एक  चेहरे पे  चस्पा, हैं चौंसठ  किरदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1141- छद्म/15.07.2019/mon./6:58am/gzb.


मेरे  मित्रों  में  शामिल  कुछ  स्त्री  टाइप  गंड़ुए हैं, 
कई  बीवियों  से  वंचित, फ्रस्ट्रेशन  वाले  रड़ुए हैं, 
सब हैं मुझे पसंद मगर फुँकता हूँ उन्हें देख करके-
जो  मन  के काले-कुटने-कम्ज़र्फ़-कमीने भँड़ुए हैं,
मुझको इन दोगले भंड़ुओं से प्रिय वो रंड़ुए-गड़ुए हैं-
क्योंकि  उनका कम-से-कम, जाहिर तो है व्यवहार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1142-CR (closer report)16.7.19/tue/1am/gzb


पूरी  दुनिया की अदालतों के वो चौखट चूम रहे, 
मोदी-मेहुल-मल्या  मारे-मारे  महि महि  घूम रहे,
लोन दिये, दिलवाए,खाये और भगाये जो इनको-
ये तो सब साँड़ों जैसे, अब भी मस्ती में झूम रहे,
सिर्फ भगोड़ों को दोषी कहना नैसर्गिक न्याय नहीं-
क्यूँ दल्लों पर दाखिल, कर डाला तूने सी० आर०।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1143- इच्छा /17.07.2019/wed./6:37am/gzb. 


कभी हरकुलिस-दारा-भीमा-कींगकाँग  बनना चाहा,
कभी मायकल-रफ़ी-हसन मेंहदी की मैं पकड़ा राहा,
एक बार तो सिविल सर्विसों का जुनून ऐसा जकड़ा-
कि जीवन का समय किया मैंने उसपे काफ़ी स्वाहा,
नेतागिरी-गुंडई-तहबाज़ारी-खनन माफ़िया से-
ले  करके  दिल किया, बनूँ सरकारी ठेकेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1144-नारीवादी/17.07.2019/wed./8am/gzb. 


कवयित्री  बनते  ही बिगड़ी, है मेरी प्यारी ज़ौजा, 
पहले  जैसा  ना करने देती है अब मौजा - गौजा,
नारीवादी नज़्में लिखके कहती है ख़ुदको शोषित-
जिससे जन्नत सा घर मेरा लगता अब वीरां रौज़ा,
इसकी कुछ मोटी-भसंड सखियों को मैं सटकाऊँगा-
जो करवाने निकली हैं..........इससे महिला उद्धार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1145-कॉमन ला/18.07.17/thu./11pm/gzb. 


क्यूँ है यहाँ पर्सनल ला जब देश हमारा सेकुलर है,
इसके  कारण  दोबारा, बँटवारे  का  लगता डर है, 
कई   प्रांतों  में ईसाई - मुस्लिम बहुसंख्यक होकर-
अल्पसंख्यकों वाला प्रॉफिट लेता भैया क्यूँ कर है, 
कॉमन हो क़ानून सभी खातिर ही पूरे भारत में-
ना हो ये सापेक्ष और.........ना ही हो धर्माधार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1146- परिवार/19.07.19/fri./1:12am/gzb. 


पारस  मेरे  पूज्य  पिता, मुखना जी मेरी माई हैं, 
शेखर - छीतू - मीतू - मुन्ना हम सब चारों भाई हैं, 
कलावती  जी मेरे बच्चों की मम्मी बनने खातिर-
पाणिग्रहण करवा के बाजे-गाजे के संग आयी हैं, 
दशमा-रशमा-पिल्लू-पूजा चार बेटियों के संग-संग-
मेरे अपने दो बेटे हैं................रोशन-पीपीआर।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1147-माताएँ/19.07.19/fri./am/gzb. 


माताओं की मन में मेरे मुखर मूर्तियां.........रहती हैं,  
अभिनव कुछ करते रहने खातिर वो मुझसे कहती हैं, 
जब दुनियाबी दग़ा - दर्द दिल में दाखिल हो जायें तो-
राह बनाने का विवेक...........पैदा कर बाँहें गहती हैं,
माँ शारदे ज्ञान,दुर्गा शक्ति,लक्ष्मी धनवैभव और-
माँ  काली  सिखलातीं  करना, दुष्टों  का संहार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1148- ढाल/19.07.19/fri./5:10am/gzb. 


पत्नी  जी  से  ही  ब्याजों पर, पैसे मैं मँगवाता हूँ, 
कर्जदार  आयें  तो  इनके  दामन में छुप जाता हूँ,
अगर पड़ोसी से  मेरा झगड़ा - झंझट हो जाये तो-
इनको ही लड़ने-भिड़ने खातिर आगे उकसाता हूँ,
काला लाला मुझे उधारी राशन ना धेले की दे-
लेकिन ये माँगे तो.......दे देता है कई हज़ार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1149-उस्ताद/19.07.19/fri./6:25am/gzb. 


पहले कुछ कुमार्गी तुमको अपने ग्रुप में जोड़ेंगे, 
फिर उस्तादी दिखलाने खातिर मन तेरा मोड़ेंगे, 
अपने को उत्तम ज्ञाता-मर्मज्ञ बताने की खातिर-
तेरे  को  ख़ारिज़  करके अपना गुब्बारा फोड़ेंगे, 
ऐसे पाजी-पतित-नीम ज्ञानी-अधकचरे गुरुओं से-
प्रिय मित्रों...! सपने में भी रहना हरदम हुशियार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1150-उस्ताद/19.07.19/fri./7:15am/gzb. 


उस्तादों  के  अनवादीपन  से  रहता  हूँ मैं आहत, 
पाता  नहीं  क्रोध  के  मारे  मन  मेरा कतई राहत, 
कई  स्वयं-भू जब विद्वान विधा में अपने बनते तो-
उनको जुतियाने की उठती मन मंदिर में है चाहत,
गीतों-ग़ज़लों-छंदों के कुछ साले-सरपुत लगते तो-
कुछ   कुंडलियों - दोहों  के नाजायज़ बरख़ुरदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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#मायने: PPR_ pushpendra pratap rai
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राजेश्वर राय दयानिधि
#8800201131 व्हाट्सप 9540276160
 rajeshwar.azm@gmail.com


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