काँग्रेस कार्यकारिणी की बैठक: अंदरूनी जानकारी


व्यंग्यकार: डॉक्टर जगदानंद झा


(उत्प्रेरक और सह योगदान - डा० रोहित)


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..... राहुल जी ने त्यागपत्र दिया। सोनिया जी ने कहा- बेटा, देश तो हमारा ही है, छोटे- मोटे चुनाव को दिल पर नहीं लेते। तुम छँगामल विद्यालय के योग्य थे फिर भी हमने तुम्हें सेंट स्टीवेंस भेजा। मन पे मत लो, कुछ नहीं तो हथियार दलाली का काम फिर शुरू करा देंगे। राहुल जी के नेत्रकमल से अश्रुधारा बह निकली। यह देख कर पँजाब शिरोमणी सिद्धू जी उनके चरण कमलों में गिर पड़े। सिद्धू जी को अपने स्थान पर पड़े देख कर पिडी गाँधी गुर्राए। राहुल जी ने कर कमलों से नेत्रकमल पोंछे और चरण कमल से सिद्धू जी के आधार पर द्रुत गति से प्रहार किया .....तिलमिलाते हुए सिद्धू जी के मुँह से निकला “ठोको ताली“ .....दर्द को दबा कर वो पीडी गांधी के पैरों के पास उकड़ूँ बैठ गये .....


गुहा कहाँ हैं........?
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गुहा जी कोने में दरी पर उकड़ूँ बैठे लिख रहे थे। सोनिया जी के आह्वाहन पर शीश उठा कर बोले- वाह, वाह, वाह, वाह। मैं देख पा रहा हूँ कि ऐसा परिस्थिति में नेहरू होते तो ठीक ऐसे ही बैठते जैसे आज बाबा बैठे हैं। और वे ना बैठते तो आज हम यहाँ न बैठते। अरे गुहा, इसी बैठा बैठी में पार्टी बैठ गई है। नेहरू ऐसे क्यों बैठते, अमेठी से कऊन काँग्रेसी हार सकता है।


बरखा जी ने फ़ौरन गुटखा थूका और बोलीं- हम इसको वीमेन इम्पावरमेंट से जोड़ सकते हैं। जब वाड्रा जी गाँव-गाँव में कॉलोनी बना सकते हैं तो क्या राहुल अमेठी का विकास न कर सकते थे।
यह कह कर उन्होंने चहुँओर विजयी भाव से देखा और बोलीं- बिल्कुल कर सकते थे किंतु स्मृति ईरानी जी महिला हैं, राहुल जी चाहते थे वे जीतें अत: तमाम दबाव के बावजूद उन्होंने विकास रोके रखा। राजीव शुक्ला जी जानते हैं कि कैसे दिन मे दो बार बाबा को ज़ोर से विकास आता था पर वे उसे रोक लेते थे।....स्मृति जी तुलसी हैं, बहन स्वरूपा हैं, उनको जिताकर राहुल जी ने जो किया है ....और वो भी विकास की प्रसव वेदना दबाते हुए .....यह कह कर वो “तुलसी पत्ती “ चबाने लगीं....


अरे वो आरनब “तू कुछ भी कहला देता है बाबा से" शैम्पूस्वामी ने तभी उस विलक्षण विधि से मस्तक को झटका दे कर अपने केश विन्यास को नव रूप दिया जैसे कोई अरबी घोड़ा रेस के पूर्व कुलाँचे मारने को तत्पर हो गया हो।


फिर वे बोले- हे मातृतुल्य देवी, इस पत्नीतुल्य महिला समाज में आप एकमात्र मातृतुल्य हैं, इसका सँज्ञान ले कर मैं बाबा को केरल ले गया और वहाँ से वे विजयी हुए। केरल के लोग ज्ञानी हैं और वे बाबा की बातों को समझ गए।
कहते कहते शैम्पूस्वामी बाईं ओर बैठी नई कार्यकर्ता को देख विचारों में खो गए.......


सोनिया जी बोली- शशि, *"झूठ ना बोलो, वहाँ यह इसलिए नहीं जीता क्योंकि केरलवासी इसकी बातें समझ गए, वरन् यह इसलिए जीता क्योंकि इसका ट्रांसलेटर अच्छा था। जो अपने हिसाब से बोलता रहा ........तुम्हारा बस चले तो अगला चुनाव तुम बाबा को लक्षद्वीप से लड़ाओगे।"* शैम्पूस्वामी अब तक उस महिला कार्यकर्ता को बिस्तर तक ले जाने की योजना बनाने में रत थे .....
...
सैम, तुम्हारा क्या कहना है? नेनुए जैसी शक्ल ले क्यूँ बैठे हो ??
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सैम बोले- "जो हुआ सो हुआ"
यह सुनते ही राहुल जी उत्तेजित और उद्वेलित हो उठे, और सैम की ओर झपटे। सिद्धरमैया ने बचा-बची की और बोले- "जाने दें बाबा, इस पर प्रेत बाधा है, इस पर अय्यर आये हुए हैं....जब तक कौए के पँख से, गिरगिट के ख़ून में डुबा कर इनके माथे पर फ़ोन का चित्र नहीं बनाया जाएगा, यह ठीक नही होंगे।"


माकन जी को फ़ौरन कौए के पँख के साथ केजरीवाल जी के निवास की ओर रवाना किया गया और मंथन को आगे बढ़ाया गया। राहुल बाबा चुपचाप मैगी खा रहे थे जो मानसिक दबाव कम करने के लिए माता जी ने उन्हें दिया था। अचानक फिच्च की आवाज़ आई, बरखा जी गुटखा थूक रही थीं। कपिल इसको मना करो, ये क्या आदत है?


सिबल जी कान खुजा कर बोले- उमर ख़ालिद के साथ रह कर आदत हो गई है इसकी। आप बेकार चिंता कर रही हैं। जो माता है, वही बहन है, जो शून्य है वह शून्य नहीं है, जो आज शून्य है कल पिछत्तीस भी हो सकता है। “चुप रहो सिब्बल। तुम्हारी सलाह ने अँडों की बारात लगायी है। "


और तुम्हारा मनु सिंघवी कहाँ गया ?
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किसी को जज बना रहा होगा ....माता ने आँखें तरेरी ....दिग्गी कहाँ हैं?
“वे सदमे में हैं। दिग्गी भोपाल से गाड़ी की डिग्गी में छुप कर भागे हैं। कमल कमल चिल्लाते हैं, पता नही भाजपा का भय है या कमलनाथ का?” कमलनाथ का भय क्यों होगा, वो कोई सिख थोड़े हैं। - सोनिया जी बोली। सिब्बल सहम गए और अपने आज़ाद लबों पर फ़ौरन ताला लगाया। सोनिया जी बोली- *"युवा कार्यकर्ताओं में रोष है। उनकी बात समझनी होगी, कुछ तो करना होगा।" सोनिया जी आगे बोलीं- क्या करना चाहिए, मोतीलाल वोरा जी से पूछा जाए।"*
मोतीलाल जी महाभारत काल में सँजय के टीवी का एंटीना घुमा कर रिसेप्शन ठीक करते थे और सब परिस्थिति पर नज़र रखते थे। बोले- किसी को इस्तीफ़ा देना होगा। पर किसे? दृष्टि एक चेहरे से दूसरे पर तैरती चली गई। ऐसे मातमी माहौल में जब काँग्रेस मुख्याल एनडीटीवी सा लगने लगा .....कोई बोला- चाय पी लें, सोनिया जी ने अनमने भाव से संदेश बाहर भेजा। बाहर श्रद्धा भाव से नामपट्टिका निहारती पल्लवी जी ने मुसम्बी देवी को पटखनी देते हुए रामखिलावन को चाय लाने का आदेश पहुँचाया। सोनिया जी गँभीरता से बोलीं- लोग कहते हैं राहुल को इस्तीफ़ा देना चाहिए। चिदम्बरम बोले------
"हम क्या मर गए हैं? तो आप दे रहे हैं इस्तीफ़ा? नहीं, नहीं मेरा मतलब यह था कि यदि राहुल जी ठीक से संवाद नहीं कर पाए जनता से, तो इसका कारण उनकी ग़लती नहीं वरन लोगों की है जो उनको समझ नहीं पाए ......वो टाइम से आगे के हैं। सोनिया जी दहाड़ीं "अब तो तुम चुप ही हो जाओ ....मेरे दामाद को ज़मीन क़ब्ज़ाके आलू उपजाने पे लगा दिया, ख़ुद घर में सोना भरे और बच्चों को समझा दिया कि आलू से ही सोना आया तुम्हारे पास, तब से बेचारा राहुल पागल हुआ पड़ा है, अगर अखिलेश सिंह भांग पी के गटर में ना पड़ा होता तो उसी से तुम्हारी लुँगी उतरवाती आज"*
सोनिया के रौद्र रूप से सब सन्न रह गये,उनकी आवाज़ गूंजी ........कौन इस्तीफ़ा दे रहा ?? चिदंबरम ने लुँगी पकड़ के दहाड़ लगाई.....अब समय आ गया है कि पार्टी हित में कठोर निर्णय लिए जाएँ। रामखिलावन, चाय की ट्रे रखो और इस्तीफ़ा दो। सोनिया जी प्रसन्न हो गईं, बोलीं - तुम्हारी इसी नैरेटिव घुमाने की कला के कारण हम तुम्हारे बेटे की सुपरमैन मुद्रा में ईडी ऑफ़िस जाने जैसी बेहूदगी बर्दाश्त करते हैं। फिर रामखिलावन की ओर घूम कर बोलीं- "रामखिलावन, इस्तीफ़ा दो पर आगे चाय कौन देगा मैडम? तुम उसकी चिंता मत करो, मनमोहन जी ख़ाली हैं तुम पेपर डालो।"


मुसम्मी देवी चीख़ते हुए कैमरे की ओर दौड़ीं- रामखिलावन हैज रिजाईन्ड, राहुल जी हैज अराईव्ड। राहुल जी मैगी खाने मे व्यस्त हो गए। सहसा सोनिया जी को कुछ याद आया ....भृकुटियाँ तन गयीं ..... राहुल को चाय पीने की आदत डलवाने को किसने कहा था ? .....मैग्गी खाते झूलते राहुल को देख वो चिल्ला उठीं।


दरबार में चहुँ ओर सन्नाटा छा गया.....तभी ... प्रियंका ने अपनी एस्कर्ट से नाक मुँह पोंछा और बोलीं अगर अभयदान मिले तो कुछ बोलूँ ?..... माता ने राहुल की मैग्गी मसाले के बग़ल में फेंके हुए पाउच में छोटी उँगली डाल कर चाटा और गरजीं....बोलो ....उनकी भंगिमायें अभी भी भय देने वाली जान पड़ती थीं .....वो रॉबर्ट आपका धरती पकड़ दामाद है ना ....वो उसको बॉडी बिल्डिंग करनी थी तो वो सारा बोरनबीटा पी जाता है....फिर आपके नाती- नातिन भी तो हैं ....तो हम लोगों ने सोचा राहुल भैया का बोरनवीटा से ऊपर का मामला है ....और एक चाय वाला इत्ता कमाल करे है तो क्यूँ ना भैया चाय पीएँ ?
....
राहुल जो मैगी ख़त्म कर चुका था ....कान में फुसफुसाया ....माते मैं उस चाय वाले के यहाँ ही तो डोरेमान देखता था घर का टीवी तो पटेल उंकल ने चार्ज कराया नहीं। माता के माथे पे पसीना आ गया ...फिर गम्भीर मुद्रा में बोलीं "चाय वाले से इस्तीफ़ा अभी तात्कालिक लिया गया है क्यूँकि मक्खन मार के इस रेट में कोई हमें चाय नहीं देगा, शाम तक रवीश इतना इस ग़रीब के लिए हल्ला मचाएगा कि हम द्रवित हो जाएँगे ...उधर पीछे रो में रवीश इन सब बातों से बेख़बर बरखा के फेंके पीक में कन्हैया का लाल सलाम ढूँढ रहा था। सभा समापन की ओर थी, सूरजेवाला और रागिनी नायक ने समवेत गायन शुरू किया ........


हे सोनिया माँ!!!!!
हे सोनिया माँ!!!!!
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(प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस/साप्ताहिक/गाज़ियाबाद (उ०प्र०)/ 28 मई से 04 जून 2019/प्रत्येक बुधवार/संपादक: राजेश्वर राय 'दयानिधि'/email: rajeshwar.azm@gmail.com/datlaexpress@gmail.com/दूरभाष: 8800201131/व्हाट्सप: 9540276160


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