डाटला एक्सप्रेस
गाजियाबाद: इन दिनों गाजियाबाद विकास प्राधिकरण भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। नवीनतम समाचार के अनुसार वर्तमान में यहाँ 54 कम्प्यूटर अॉपरेटर्स के लिए टेंडर है परन्तु अनधिकृत रूप से कर्मी हैं 70 से भी अधिक। अमित पाल नामक आपरेटर लगभग 06 माह पूर्व जीडीए छोड़ चुका है, लेकिन उसका पेमेंट निरन्तर फर्जी वेरीफिकेशन से निकल रहा है। अधिकांश आपरेटरों के पास समुचित प्रमाण पत्र नहीं हैं फिर भी उन्हें काम पर रखा गया है। बायोमेट्रिक अटेंडेंस शो पीस बनी हुई है जिससे उपस्थिति की जांच नहीं हो पाती। कम्प्यूटर आपरेटर रखना अधिकारियों के लिए स्टेटस सिंबल बन गया है, जहां जरूरत नहीं है वहां भी तैनात किये गए हैं। आपरेटर भी मौज में हैं, ठाले बैठे प्राधिकरण की वाई-फाई से अपने ग्रुप में चैटिंग करते रहते हैं। सभी का एक ग्रुप है, इन्हें बरामदे में घूमते देखा जा सकता है।
जितने आपरेटर कार्यरत हैं उतने रखने की अनुमति शासन से नहीं ली गई है।शासनादेश के अनुसार आउटसोर्सिंग से केवल शासन द्वारा सृजित पद के सापेक्ष ही ली जा सकती है आपूर्ति, इस प्रकार शासनादेश की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां। शायद इन्हीं बातों को छुपाने और अन्य भ्रष्टाचारों पर पर्दा डालने के लिए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने प्रेस और एनजीओ के प्राधिकरण बिल्डिंग में प्रवेश पर रोक लगा रखा है। परंतु सच्चाई तो सच्चाई है सौ पर्दों से भी छनकर बाहर आ ही जाती है।
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संपादक:राजेश्वर राय "दयानिधि"
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