क्या रिश्ता है मेरा तुमसे,जाने कौन सा है नाता ।
यार मेरे संसार मेरे,मैं,दूर न तुमसे रह पाता ।।
(नायिका)
मीत कहूँ या प्रीत तुम्हे मैं,या अधरों का गीत कहूँ
ख्वाब कहूँ या ख्याल कहूँ,मैं,या जीवन संगीत कहूँ
रंग में तेरे, साथी मेरे ,अंग - अंग ये रँग जाता ।
क्या रिश्ता है मेरा तुमसे ,जाने कौन सा है नाता ।।
(नायक)
कैसा है ये मेल दिलों का ,कैसा है ये गठबन्धन
साँसों की खुशबू से महके,अरमानों का नित चन्दन
भाएँ बस अंदाज़ तुम्हारे,और नही कुछ भी भाता ।
क्या रिश्ता है मेरा तुमसे ,जाने कौन सा है नाता ।।
(नायिका)
हुई तमन्ना पूरी दिल की,खुश हूँ मैं तुमको पाकर
भूल गई हर दुख दुनिया का,तेरी बाँहों में आकर
आनंद से भर जाती जब तू,प्यार लबालब बरसाता
क्या रिश्ता है मेरा तुमसे ,जाने कौन सा है नाता ।।
(नायक)
गुजरीं जब तुम पास से मेरे,हुई ज़िगर में है हलचल
करें शरारत मीठी - मीठी,नयन तुम्हारे ये चंचल
प्यारा - प्यारा रूप तुम्हारा,नज़रों में जाए छाता ।
क्या रिश्ता है मेरा तुमसे ,जाने कौन सा है नाता ।।
(नायक-नायिका)
मिलते हैं मिलते ही रहेंगे,सागर व नदिया की तरह
महकेगें यूँ ही हम दोनों,मधुवन व बगिया की तरह
सुर में ताल मिलाकर गाई,हमने मुहब्बत की गाथा
क्या रिश्ता है मेरा तुमसे ,जाने कौन सा है नाता ।।
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सुरेन्द्र साधक
डाटला एक्सप्रेस
संपादक:राजेश्वर राय "दयानिधि"
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