साहित्य मनीषी आचार्य निशांतकेतु जी का जन्मदिवस समारोह संपन्न:

 


 


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आचार्य निशांत केतु


गुरुग्राम: (हरियाणा) साहित्य-मनीषी, काव्यकार, कथाकार, उपन्यासकार, निबंधकार, संपादक, शास्त्रज्ञ तथा प्राच्य विद्या-विशेषज्ञ तथा २०० से अधिक ग्रंथों के रचयिता आचार्य निशांतकेतु जी के 85 वें जन्मदिन 23 मार्च 2019 के सारस्वत अनुष्ठान के पुनीत अवसर पर सुलभ साहित्य अकादमी, अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं अखिल भारतीय सर्व भाषा संस्कृति समन्वय समिति के संयुक्त तत्वावधान में शब्दाश्रम के विशाल परिसर में दिव्य एवं भव्य सारस्वत शब्द अनुष्ठान का आयोजन किया गया।



समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविभूति पद्मभूषण डॉक्टर विन्देश्वर पाठक और समारोह अध्यक्ष प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव



अध्यक्षता हिंदी के प्रतिष्ठित कवि एवं पत्रकार पंडित सुरेश नीरव ने की और मुख्य अतिथि के रूप में सुलभ आंदोलन के जनक विश्व विभूति माननीय पद्मभूषण डॉक्टर विन्देश्वर पाठक ने अपने शुभ सान्निध्य से समारोह की गरिमा में श्री वृद्धि की। इस अवसर पर अनेक साहित्यिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने आचार्य निशांतकेतु का सम्मान किया। आचार्य निशांतकेतु की कहानियों में मानवीय मूल्य बोध विषय पर प्रथम चरण में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई जिसका विषय प्रवेश कोल्हापुर विश्वविद्यालय से आईं विदुषी दीपाली शिंदे ने किया। जिसे सफलता पूर्वक आगे बढ़ाया हरियाणा के साहित्यकार वेद व्यथित ने। वाराणसी से आए काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में आचार्य निशांतकेतु की विद्वता को अलौकिक बताया। और आचार्य जी के दर्शनलाभ को अपना सौभाग्य बताया।



आयोजन का संचालन करते हुए सुलभ साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार ज्योति


सुप्रसिद्ध कवि और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर गंगेश गुंजन ने कहा कि मुझे सौभाग्य प्राप्त है कि मैं आचार्य निशांतकेतु का शिष्य हूँ और मुझे जो साहित्यिक संस्कार प्राप्त हुए हैं वो आचार्यजी की ही देन हैं। मुख्य अतिथि विश्वविभूति पद्मभूषण डॉक्टर विन्देश्वर पाठक ने कहा कि आचार्य निशांतकेतु की विद्वता अप्रतिम है और जो सेवाशीलता के संस्कार मुझे मिले हैं यदि आचार्यजी जैसा गुरु नहीं मिलता तो शायद ये संस्कार मुझे नहीं मिल पाते। मैं आचार्यजी को जीवित एनसाइक्लोपीडिया मानता हूं। समारोह अध्यक्ष प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने आचार्य निशांतकेतु को समानुभूति, करुणा, मैत्रैयी और सत-चित-आनंद से परिपूर्ण समकालीन साहित्य का एक कालजयी सारस्वत शब्दऋषि बताया।



पंडित सुरेश नीरव का स्वागत करती हुई प्रभा शर्मा


समारोह के द्वितीय चरण में काव्योत्सव का आयोजन किया गया जिसमें सर्वश्री-डॉक्टर राहुल, प्रदीप जैन, जयप्रकाश विलक्षण, मधु मिश्रा, डॉक्टर कल्पना पांडेय एवं कल्पना झा ने कविता पाठ किया। इस शब्द अनुष्ठान का सार्थक एवं सारगर्भित संचालन सुलभ साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार ज्योति ने किया। पूरा समारोह अपनी साहित्यिक गुणवत्ता के आधार पर निश्चित ही एक अविस्मरणीय और ऐतिहासिक कार्यक्रम रहा।



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