होली रंगने आती है...
बिना प्यार के जीवन के,
सारे रंग हैं फीके,
होली सबको प्रेम-रंग में
रंगने आती है।
हर उदास चेहरे पर,
खिल जाती हैं मुस्कानें ।
अधरों पर लहराती हैं,
मीठी-मीठी तानें।
मन की सूनी बगिया में,
बहार छा जाती है।
जन मानस के तन-मन में,
उल्लास उमड़ता है।
हरे-लाल-पीले अबीर का,
मेघ घुमड़ता है।
नर्तन करते पांवों में,
थिरकन लहराती है।
भरतनाट्यम,कथक,कुचिपुड़ी,
करे देह नर्तन
सिर से पांवों की मुद्रा का,
मनमोहक कीर्तन ।
रचे गीत-गोविंद,खुशी,
तालियाँ बजाती हैं,
तुम हो इतना दूर,
तुम्हारी याद सताती है।।
प्रतिभा