मुबारक हो... --------------- राज राजेश्वर

मुबारक हो.....
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हम हैं अब भी पराधीन आज़ादी तुम्हें मुबारक हो
मेरे पैसों की पश्मीना-खादी तुम्हें मुबारक हो


लील गयी जो लाखों जानें कहो उसे ना करने को
राजनीति ऐसी हराम की ज़ादी तुम्हें मुबारक हो


हम दो एक हमारे होगा लड़का-लड़की चाहे जो
भुखमर्रों से भरी हुई आबादी तुम्हें मुबारक हो


बहुत हुआ बर्बाद आज से छोड़ रहा हूँ मैं मित्रों!
अंग्रेजी से ले महुए की बादी तुम्हें मुबारक हो


मैं उसको ही चाहूँगा जो प्यार लुटाये बदले में
नखरोंवाली,नाकचढ़ी प्रतिवादी तुम्हें मुबारक हो


मैं ऐरेंज करूँगा मैरिज माँ-बाबू की मर्ज़ी से
प्रेम-पलायन वाली मित्रों शादी तुम्हें मुबारक हो


मैं तो बिना लोभ के कमसिन से ही व्याह रचाऊंगा
खूब कमाती नोटों वाली दादी तुम्हें मुबारक हो


कुछ तो लत्ते भेज बहू मैं गाँव पड़ी चकती में हूँ
बाकी तेरे वार्डरोब की लादी तुम्हें मुबारक हो


छोटी नाली हूँ पर निर्मल-शीतल नीर बहे मुझमें
नदियों तुममें भरी हुई ये गादी तुम्हें मुबारक हो


मेरा दिल जो घर था तेरा तुमने ही खुद तोड़ दिया
तेरे हाथों तेरी ही बर्बादी तुम्हें मुबारक हो


अलग हुआ है तू बन्धन से,दोष बहू को मत देना
जो जी आये कर बेटे, आज़ादी तुम्हें मुबारक हो


मैं हूँ ऐश-कैश का हामी जुदा राह अब अपनी है
तेरी 'राज' ज़िन्दगी सीधी-सादी तुम्हें मुबारक हो
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मायने:
पश्मीना - सबसे मंहगे ऊन की शाल/बादी-शराब/प्रतिवादी - दूसरा यानि सामने वाला पक्ष/एरेंज(arrange) - व्यवस्थित, प्रायोजित/लत्ता- पुराना वस्त्र/चकती(a patch) - पैबंद, चिथड़ा/वार्डरोब (wardrobe)-कपड़े रखनेवाली आलमारी,almirah, cupboard, /लादी-कपड़ों का ढेर/नीर-पानी/गादी-गाद, गंदगी/हामी-समर्थक/जुदा-अलग
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राज राजेश्वर
8800201131/9540276160
रचनाकाल: 01/01/2015/वीरवार/3:50सुबह/बी-59.गरिमा गार्डन. साहिबाबाद. गाज़ियाबाद(उत्तर प्रदेश) 201005/email:rajeshwar.azm@gmail.com


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