झन- झना दे चेतना के...



झन- झना दे चेतना के...
------------------------------


झन -झना दे चेतना के, जड़ विनिद्रित तार को l
माँ !जगा दे आज तो, सोये हृदय के प्यार को ll


राग रंजित प्राण हो अब, रंग कुछ ऐसा चढ़ा l
नेत्र अंतर के खुले अब, पाठ कुछ ऐसा पढ़ा ll
देख पाये रूप तेरा, पा सके तव द्वार को ll
ज्ञान आभा बुधित में भर,हृदय में शुचि भावना l
कर्म पथ पर पग बढ़े, कर्तव्य की हो साधना ll
हम समझ लें आज से, प्रतिबिम्ब तव संसार को ll


झन -झना दे चेतना के, जड़ विनिद्रित तार को l
माँ !जगा दे आज तो, सोये हृदय के प्यार को ll


पीड़ितों को बाँटकर ममता, हृदय की हम खिले l
प्यार का सागर भरे उर में, सभी से हिल मिले ll
खोल दे माँ आत्मा की, रूद्ध सी इस धार को ll
है नहीं कुछ पास पूजा, थाल हम जिससे भरें l
झर चुके सद्गुण सुमन, अर्पित तुझे अब क्या करें ll
आज तो स्वीकार ले, आँसू भरी मनुहार को ll


झन -झना दे चेतना के, जड़ विनिद्रित तार को l
माँ ! जगा दे आज तो सोये हृदय के प्यार को ll
___________________________
अशोक गोयल/पिलखुवा 08218065876
09259053955
_____________________________
प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस/27.01.19


Comments
Popular posts
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image
प्रदेश के दूसरे सबसे स्वचछ शहर का तमगा प्राप्त गाज़ियाबाद झेल रहा नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही की मार।
Image
दादर (अलवर) की बच्ची किरण कौर की पेंटिंग जापान की सबसे उत्कृष्ट पत्रिका "हिंदी की गूंज" का कवर पृष्ठ बनी।
Image
साहित्य के हिमालय से प्रवाहित दुग्ध धवल नदी-सी हैं, डॉ प्रभा पंत।
Image
जर्जर बिजली का खंभा दे रहा हादसे को न्यौता, यदि हुआ कोई हादसा तो होगा भारी जान माल का नुकसान।
Image