गणतंत्र दिवस मेरी नज़र से ------डॉ. प्रतिभा गर्ग


गणतंत्र दिवस मेरी नज़र से...


डॉक्टर प्रतिभा गर्ग
गुड़गाँव (हरियाणा)
garg.pratibha@gmail.com
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(प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस (साप्ताहिक)/गाज़ियाबाद, उ०प्र०/ 23 से 29 जनवरी 2019/बुधवार/संपादक: राजेश्वर राय 'दयानिधि'/email: rajeshwar.azm@gmail.com/datlaexpress@gmail.com/दूरभाष: 8800201131/व्हाट्सप: 9540276160
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गणतंत्र दिवस हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है। हम भारत का 70 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं। 26 जनवरी भारत के इतिहास के लिए एक गौरवमय दिन है। सभी अवगत हैं कि 26 जनवरी 1950 के दिन भारत को गणतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया गया था इसी दिन स्वतंत्र भारत का नया संविधान लागू कर एक नए युग का आग़ाज़ किया गया। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में बागडोर सम्भाली थी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में होता है। विजय चौक पर मंच बना होता है तथा दर्शक दीर्घा होती ह। राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ यहाँ पधारते हैं और राष्ट्रध्वज फहराते हैं। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है।


गणतंत्र दिवस की परेड
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इस दिन का मुख्य आकर्षण होती है परेड। सेना और अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियाँ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती हैं। परेड के बाद झांकियों का दृश्य सलामी मंच के सामने से गुजरता है। एक से बढ़कर एक सजी- धजी झाकियाँ जो हर राज्य की विशेषता प्रदर्शित करती हैं और झाँकी में नृत्यांगनाएँ नाचती-गाती सबको मंत्रमुग्ध किए चलती हैं। विभिन्न राज्य अपनी झाँकी में अपनी संस्कृति को दर्शाते हैं। बहादुर बच्चे हाथी या जीप पर सवार होकर बहुत प्रसन्न दिखाई देते हैं। गणतंत्र दिवस के समारोह में राष्ट्रपति देश के निमित्त असाधारण वीरता प्रदर्शित करनेवाले सेना और पुलिस के जवानों को वीरता पुरस्कार एवं पदक प्रदान करते है ।


गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र अपने महानायकों को स्मरण करता है। हजारों-लाखों लोगों की कुर्बानियों के बाद देश को आजादी मिली जिसके फलस्वरूप राष्ट्र गणतंत्र बना। इन्होंने देशवासियों के सामने जीवन-मूल्य रखे। हमारा गणतंत्र इन्हीं जीवन-मूल्यों पर आधारित है। अत: इनकी रक्षा की जानी चाहिए।


इतने वर्षों की आज़ादी के बाद भी आज हम अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा से लड़ रहे हैं। अब हमें दोबारा मिल कर अपने देश को इन करीतियों से दूर करना होगा और एक सफल, विकसित और स्वच्छ देश बनाना होगा। हमें गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता, आदि देश का हनन करने वाले तत्वों को समझना होगा और इनका हल भी खोजना होगा। आज हमें फिर व्यक्ति की गरिमा का महत्व विश्व बंधुत्व, सर्वधर्म-समभाव, धर्मनिरपेक्षता जो गणतंत्र के मूलतत्व हैं अपने जीवन में उतारना होगा और अपने गणतंत्र को फलता-फूलता देखने के लिए हमें इन्हें हृदय में धारण करना होगा।
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*कुछ पंक्तियाँ मेरे ज़हन से...*


चलो फिर से वह बीता अविस्मरणीय नज़ारा याद कर लें-
शहीदों के दिल में जली आज़ादी की ज्वाला याद कर लें।
क़ुर्बानी वतन परस्ती के लिए उस जज़्बे को श्रद्धा नमन-
परचम लहराया स्वतंत्रता का उस साहस की बात कर लें।।


फिर हौंसला रगों में अपने वतन के लिए आबाद कर लें-
भेद-भाव सब मिटा, एकता को हम अपनी पहचान कर लें।
हम विश्व मंच पर भारत का नाम बुलंद कर शान बढ़ाये-
आओ तिरंगा फहराकर नव हौसलों का आग़ाज़ कर लें।


जो संविधान बना गणतंत्र देश का उसका मान कर लें-
अपने देश की उपलब्धियों पर आज फिर से गुमान कर लें।।
ऐतिहासिक दिन है निष्ठा कर्तव्य निर्वाह का वादा लिए-
अपने वतन को गौरान्वित हम तिरंगे पर अभिमान कर लें।।

जय हिंद!


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