डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति
आज कुछ लिखने का मन है
प्रीत का जागा बचपन है
मिलन दिल को छूने आ रहा
विरह कर रहा पलायन है
लगा है बिना कहे ही आज
महकने फिर से गुलशन है
ग़ज़ल लगता है हर इक लफ्ज़
भा रहा यह पागलपन है
याद जैसे ही आई याद
खिला मुरझाया जीवन है
आज अंचल खुद से कर बात
सोच पर छाया यौवन है।।।।
ममता शर्मा'अंचल', अलवर (राजस्थान)