डाटला एक्सप्रेस की प्रस्तुति
इतराता बलखाता यौवन
सबको केवल भाता यौवन
उम्मीदों से भरी रूह को
जब तक है बहलाता यौवन
मर्यादा की बात न सुनता
तनिक नहीं शर्माता यौवन
जो कुछ दिल चाहे करता है
जब दिल में ज़िद लाता यौवन
अनुभव में डूबी आँखों को
अक्सर आँख दिखाता यौवन
मद में भरकर आदर्शों को
जब मन हो ठुकराता यौवन
मिले प्यार में अगर जुदाई
पल पल अश्क बहाता यौवन
बात देश रक्षा की हो तो
पल में प्राण लुटाता यौवन
सरहद पर दुश्मन के दल में
महाकाल कहलाता यौवन
उम्र ढले तो देह छोड़कर
यौवन के घर जाता यौवन
शुरुआत से विदा तलक भी
बिल्कुल समझ न आता यौवन।।।।
ममता शर्मा "अंचल"
अलवर (राजस्थान)