कविता.....मुझको याद है

प्रस्तुति डाटला एक्सप्रेस 


वह  पुराना गीत  मुझको  याद है

जो रहा  दिल  मे सदा  आबाद है

देख मन को फ़िक्र में कहता रहा

बे वजह क्यों पालता अवसाद है

हो रहे खुश वो  पराजित जानकर

मीत  यह  उनका  निरा  उन्माद है

डर तुझे है किस गुलामी का बता

ग़म  न  कर  मन  बावरे आजाद है

पीर भी उम्मीद  की  दुश्मन  नहीं

सच समझ सुख की यही बुनियाद है

गीत समझाता मुझे  "अंचल" यही

जय  पराजय  जिंदगी  की खाद है

ममता शर्मा "अंचल"

अलवर (राजस्थान)7220004040

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