प्रस्तुति 'डाटला एक्सप्रेस'
व्यक्ति का (मानव) व्यवहार या व्यावहारिक गुण ही आकर्षित व्यक्ति को एक दूसरे के प्रति करते है , क्योंकि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से उसके द्वारा करने वाले व्यवहार (व्यवहार वाले फल) से आकर्षित उसके प्रति होता है ।
व्यवहार मानव का विशेष व्यक्तिगत गुण है जो समय के साथ और बेहतर बनता चला जाता है और व्यवहार ही मानव को अन्य जीवों से पृथक करता है और यह साबित करता है कि मानव श्रेष्ठ प्राणी है ।
एक सिद्धांत है जो प्रकृति के द्वारा अनुमोदित है - “दृष्टि, विचार (सोच), संगत और रंगत पर ही मानव का व्यावहारिक गुण निखरता है “
‘ व्यावहारिक ज्ञान ’ तो फल है जो मानव की योग्यता को दर्शाता है ; समझना आवश्यक है कि ‘इस फल का बीज़ क्या है?’
वो बीज़ है - दृष्टि , “दृष्टि वो बीज़ है जो मानव मस्तिष्क में विचार (सोच) को उत्पन करता है, अब विचार हमेशा दृष्टि के माध्यम से मस्तिष्क में घर करता है क्योंकि कई विचारों का उद्गम बिना सुने भी होता है और यह व्यक्तिगत बातचीत (सेल्फ़ टॉक) के आधार पर उद्गम होता है जो एक प्रकार से व्यक्तिगत दृष्टिकोण से उत्पन्न हुआ है।”
विचार ही मानव की संगत बनाने का निर्णय करते है और जब संगत के साथ मानव अपना समय देता है तब संगत के अनुसार मानव (व्यक्ति) का विकास होने की शुरुआत होती है , यह समाज में सहज़ रूप से महसूस किया जा सकता है ।
तब फूल के रूप में रंगत का उद्गम होता है और ‘व्यावहारिक ज्ञान के फल’ के रूप में विकसित होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी होती है ।
और व्यक्ति अपने जैसे व्यावहारिक ज्ञान वाले व्यक्ति को आकर्षित करता है और इसके कारण से व्यक्ति सफलता की उन ऊँचाइयों को प्राप्त करता है जिसकी उसने कल्पना भी नहीं करी होती है ।
“महत्वपूर्ण यह है कि मानव की दृष्टि वाला बीज़ किस विचार को जन्म देता है और उसके अनुरूप उसकी संगत और रंगत के कारण व्यक्ति के व्यावहारिक फल पर उसकी सफलता निर्भर बनती है ।”
विवेक कुमार चौबे ‘अवचेतन’
डाइरेक्ट सेलिंग कंसलटेंट
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