(कविता) दयानिधि अब तो लो अवतार...! (क्रमांक 1251 से 1275)


पाप बढ़ा जब-जब धरती पर आये बारंबार
एक बार फिर इस धरती को है तेरी दरकार
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1251- एनआरसी/22.12.19/sun./9:44pm/gzb. 


आयुष्मान-लाडली-अन्त्योदय का लाभ उठाएंगे, 
सरकारी राशन खातिर, लाइन में भी लग जायेंगे, 
लेना  हो आवास-वज़ीफ़ा-गैस सिलेंडर सब्सिडी-
तो सारा काग़ज़ पत्तर खुल करके ख़ूब दिखाएंगे,
लेकिन जब घुसपैठी छँटनी खातिर पेपर माँगो तो-
मुल्ले बोलें........ ना बनने देंगे सिटिजन एनआर।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1252-वर्तमान/23.12.19/mon/5:12pm/gbd


आज नष्ट कर देता मानव सुंदर कल की चाहत में, 
हासिल  पे  ना हँसता ना जीता है उसकी राहत में, 
इन  उद्वेगों  के  ही कारण वो अतीत में दु:खी रहा-
और कटेगा आगे भी दिन उसका सदमा-आहत में,
महामंत्र जीवन का उसको नामालूम हुआ इतना-
कि  मौजूदा  पल में ही हैं, ख़ुशियाँ सभी शुमार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1253- घुसपैठिया/23.12.19/mon./8:14pm/gbd.


बंग्लादेशी-रोहिंग्याओं को कुछ गले लगायेंगे, 
पर निर्वासित हिंदू बसना चाहे तो चिल्लायेंगे,
सेंध काट आनेवाला भोला है इनकी नज़रों में-
लेकिन जो द्वारे से आये उसको चोर बतायेंगे, 
सुनलो भई! विभीषण शरणागत था तो प्रभु ने थामा-
लेकिन घुसपैठी मारिच को...........वो भी डाले मार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1254-आईना/24.12.19/tue./01:15am/gbd. 


दो आने की चीज़ आइना, क्या मेरा सच खोलेगा.? 
जो ख़ुद है औकातहीन वो साला क्या कुछ बोलेगा? 
जितनी ठेसें खा करके मैं, खड़ा आज दुनिया में हूँ-
उसकी  एक  फीसदी  लगते, ये  टुकड़ों में डोलेगा, 
सही  जानना  है मेरे बारे में तो, मुझसे पूछो-
मुझसे ज़्यादा कौन जानता है मेरा किरदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1255-कैब(CAB)24.12.19/tue/04:06am/gbd


नहीं  लगा  पाये अन्दाज़ा  अब  की  बार शाह भाई
जिसके कारण मचा ताण्डव, सफल हुए ये कस्साई
काश्मीर-मंदिर-तलाक की क़ुफ़्त भरी थी जो मन में-
वो विपक्षियों - देशद्रोहियों की खुलके सम्मुख आयी,
कैब पड़ गया मँहगा मोटाभाई तुमको ग़फ़लत में-
संसद में तो जीते..........पर सड़कों पे पाये हार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1256- पेनिसपूजा/24.12.19/tue./06:50am/gbd.


थोड़े  दिन खा-पी के जब राहुल भैया गर्माते हैं, 
तब  वो  थाईलैण्ड कराने थाई मालिश जाते हैं, 
वर्षों से ये चक्र चल रहा दुनिया ख़ूब जानती है-
पर वे इसके बारे में ख़ुद कुछ भी नहीं बताते हैं, 
सुनता हूँ बैंकाक पहुँच करवाते वो 'पेनिसपूजा'-
और  लौटते  तब, जब  उठते  गन्ने  जैसा गार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1257-कैब(CAB)25.12.19/wed./6:46am/gbd


हुए  पोस्टर जारी इनके, भाग रहे खरहे से अब,
देंगे जब मुआवज़ा सारे पता चलेगा इनको तब, 
दो पैसे का टेक्स चुकाने में मरती मइया इनकी-
लेकिन ट्रेनें-बसें जलाने गोल बाँध के आये सब,
यूपी में योगी के डर से कैब विरोधी छुपने को-
दाढ़ी  कटा, पहनना  छोड़  रहे मुल्ले सलवार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1258- राहुल/28.12.19/thu./2:10am/gbd. 


बेहतरीन मुद्दों पे भी तुम चलती संसद जाम किए, 
बैठ विपक्षी ख़ेमें में ना जनहित का ही काम किए, 
पाकिस्तानी  वाणी  बोले, मुस्लिम माला जपे सदा-
और हजारों उलजलूल बातों को अपने नाम किए, 
तुम जैसे कुलनाशक को देखूँ तो देह जले राहुल-
जलधि कोख में जन्मे बनकर घोंघा-सीप-सेवार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1259- ख़ामी-ख़ूबी/28.12.19/sat./7:45am/gbd.


हर  बातों  का  दोष  हमेशा,  ख़ुद  को ना देते रहिए, 
ऐसा  कर  अपराधबोध  की, अंत:पीड़ा  मत सहिए, 
सौ कारण होते हैं सुख-दुःख-विजय-पराजय पाने के-
अत: सर्वदा घृणा भाव से ख़ुद के मन को मत महिए, 
खोजो ख़ूब ख़मियाँ ख़ुद में इसमें कोई हर्ज नहीं-
लेकिन ख़ुद की ख़ूबी भी लो कभीकभार निहार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1260- गाँधी_नेहरू/28.12.19/sat./6:30pm/gbd.


पूरी  दुनिया  में ले - दे के, नेहरू केवल एक हुए, 
गाँधी  भी नैसर्गिक ढंग से, आसमान से एक चुए, 
जाति-धर्म संदिग्ध रहा पर गाँधी-नेहरू की खोली-
चढ़ा  वर्ष  सत्तर से, इक परिवार छक रहा है पुए, 
दादी जी निकाह पढ़वायीं, मम्मी गिरजाघर ब्याहीं-
जिसकी, उसकी  संतति  राहुल  लिया जनेऊधार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1261- एनपीआर/29.12.19/sun./7:30pm/gbd. 


सत्तर-पैंतिस-तीन तलाक़ों, वाला मस्ला दूर हुआ,
मंदिर अटकानेवालों का, भी घमंड सब चूर हुआ,
जो  राफेल का बाजा बजा रहा था, पप्पू पगलेट्टा-
वो बद्स्वर हो गया नाद उसका भी मट्टी-धूर हुआ,
सीएए बन गया, अमल होगा एनआरसी पे भी कल-
लाख माथ पटके कोई पर.........बनेगा एनपीआर।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1262-अलविदा_2019/sun/29.12.19/gbd/10:15pm


सोचा थर्टीफर्स्ट दिसम्बर जब इस वर्ष मनायेंगे, 
अण्डे की भूजी संग मदिरा का दो पैग लगायेंगे,
थोड़ा नाचें - वॉचेंगे घूमेंगे मॉल-सड़क उस दिन-
और लगा मजमा मित्रों का, मुर्ग़ा-मटन उड़ायेंगे,
लेकिन लगा पलीता सारी प्लानों को जब पता पड़ा-
कि इकतिस-बारह-उन्निस  को,  दिन  है  मंगलवार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1263- अलविदा_2019/ tue/31.12.19/gbd/10:15am


काश्मीर  का बिलय हुआ, शक्तियाँ बुरी मज़बूर हुईं,
सख़्त  सर्जिकल  स्ट्राइक से, पाक चौकियां धूर हुईं, 
मुक्त हुईं मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक़-हलाला से-
और राम मंदिर बनने की..........हर बाधाएं दूर हुईं,
ख़ुशनसीब हूँ जो मैंने सन्-दोहज़ार-उन्निस देखा-
जिस में मोदी ने भारत का, किया बड़ा उद्धार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1264- अलविदा_2019/tue/31.12.19/gbd/02:45pm


सूरज चला गया छुट्टी मैं कोहरों संग मर रहा हूँ,
बिना नहाये पाद रजाई......में दुर्गंध भर रहा हूँ, 
एक इंच का व्यासयुक्त जो बना वेन्ट है पिछवारे-
उसे सिर्फ़ तर्जनी-मध्यमा से मैं साफ़ कर रहा हूँ,
दिल्ली की इस दर्दनाक ठंडी में माह दिसंबर के-
लगता है यम देगा मेरा..........जीवनपर्चा फार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1265- अलविदा_2019/tue/31.12.19/11:35pm/gbd


बारहसौ पैंसठ पद का संपन्न सफ़र इस वर्ष हुआ, 
ख़ुश  हूँ  कि लेखन में भी, मेरे थोड़ा उत्कर्ष हुआ,
बार-बार मैं उबर सका, प्रभु कृपा हमारे साथ रही-
भले, कठिनतम् काँटों व्यापी, राहों से संघर्ष हुआ, 
यादगार लम्हें देकर, हो रहा रिटायर उन्निस ये-
सौंप रहा है आज साल ट्वेंटी को नया प्रभार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1266- जाड़ा/03.01.20/fri./03:25am/gbd.


खान-पान का असल मज़ा तो जाड़ों में ही आता है,
जो भी खाओ - पीओ, सारा चुटकी में पच जाता है,
हरे मटर का बना निमोना-घुघुरी-बेढ़नी-खिचड़ी संग-
आलूदम-पूड़ी-सब्ज़ी-सकपहिता  जिगर जुड़ाता है
गर्मागर्म भात में आलू-गोभी-मटर-टमाटर की-
खट्टी-खट्टी तरकारी......भाये पतली तरिदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1267-साँड़शाला/03.01.20/fri./6:18am/gbd.


जे.एन.यू वाले नक्सल सोचों में ख़ूब खो रहे हैं,
देशद्रोहियों  के  साथी  बन, सीनाज़ोर हो रहे हैं,
अरबों का अनुदान इन्हें जो देती है सरकार मेरी-
उससे फ्री का खा-पी ये ज़हरीले बीज बो रहे हैं, 
वक्त आ गया बंद कराओ इनकी अभी साँड़शाला-
क्योंकि  अब  ये  नहीं  रहा, शिक्षा का एक इदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1268- बाहुबल/05.01.20/sun./5:20/gbd.


बातों से ज़्यादा लातों से, दुनिया को चलते देखा,
ना हो गर विश्वास उठा के पढ़ डालो इसका लेखा,
क्षमा-दया-अनुराग-धर्म-मानवता चाहे जो बक लो-
मिटती नहीं मनों से, शासक-शासित की गंदी रेखा, 
समझाने से रावण-दुर्योधन जो मान गये होते-
तो  लंका - कुरुक्षेत्र  सरीखा ना होता संहार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1269-जेएनयू/05.01.20/sun./11:09pm/gbd


जे.एन.यू के नक्सलिए आगे ही नहीं बढ़ रहे हैं, 
जाने कैसा डिप्लोमा माथे पर कुटिल मढ़ रहे हैं,
मुफ़्तख़ोर-ओवरएजी-नौकरीहीन, इन बूढ़ों संग-
मीनोपॉजी  महिलाएं - गुंडे भी ख़ूब, पढ़ रहे हैं,
गर्भनिरोधक गोली-गाँजा-गुब्बारे-दारू धरके-
मुझे नहीं मालूम कौन सी, रहे हैं डिगिरीधार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1270- सेक्युलर/06.01.20/Mon./00:13am/gbd. 


संविधान या शरिया हो सेकुलर को कोई फ़र्क नहीं, 
उसे  धर्मच्युत होकर जीने से भी, मिलता नर्क नहीं,
बेटे-बेटी-बीवी-बहुएँ............चाहे जहां मरायें मुँह-
तो भी उस मनहूस शख़्स का, होता बेड़ा गर्क़ नहीं, 
क्योंकि धर्म नहीं धंधे से मतलब रखनेवाला ये-
प्राणी सेकुलर होता है........रंडी सा कोठेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1271- ऊँचाई/06.01.20/mon./06:48am/gbd. 


ना  तो  आसमान छूना है, नहीं नापना जलधि मुझे,
बस चाहूँ हँसते जीना, हँसते ही जीवन ज्योति बुझे, 
सोचूँ कि जब राम नाम संग दो रोटी मिल रही है तो-
इससे ज़ादा और चाहिए, राज भला क्या चीज़ तुझे, 
ताड़-खजूर-सफेदा जैसा मुझको ऊँचा ना होना-
मैं तो बस बनना चाहूँ.......इक पादप सायेदार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1272- बीवी-बच्चे/06.01.20/mon./07:19pm/gbd.


नहीं  मानता  बुरा कभी, बीवी - बच्चों के तानों का,
ना ही असर दिखे मुझपे उनके विषबुझे बयानों का,
जो  भी  पैदा  करूँ  जोड़  कर  पाई - पाई  दे  देता-
बिना लगाये ही हिसाब अपने मानों - अपमानों का,
कितना  भी  कर  दो इनको, संतोष नहीं होने वाला-
इस सच को मैं मान चुका अब तुम भी लो स्वीकार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1273- अंकल सैम (अमेरिका) 07.01.20/11-pm/gbd


'अंकल सैम' ठोक डाले तेरे जनरल सुलमानी को, 
नहीं दिए मौक़ा भगने का अपने दुश्मन जानी को, 
ईरानी  "ख़ामेनेई"  तुम ख़ामख़ाह खुरिया कर के-
काहे याद करन चाहत हो अपनी बिसरी नानी को-
आठ नहीं अस्सी करोड़ का रखलो तुम ईनाम भले-
तो भी नहीं ट्रंप भैया का...........पाड़ सकोगे बार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!
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1274- मन/07.01.2020/tue./04:12am/gbd. 


गीता का गुनिया रामायण का मैं रागी बनता हूँ,
राम नाम तुलसी-माला पर शाम-सवेरे गनता हूँ, 
तीरथ-वर्त-दान-गोसेवा-तर्पण-मौन-होम के संग-
साधू-पीर-फ़क़ीर-गुरू-फादर की बातें मनता हूँ,
तो भी मन में काम-क्रोध-मद-लोभ गोलबंदी करके-
रह रह मारा करते हैं..........भीतर से बहुत उछार।
दयानिधि अब तो लो अवतार...!
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1275-बवासीर/08.01.20/wed./06:51am/gbd. 


बवासीर का विशेषज्ञ मैं क्लीनिक एक चलाता था,
मुश्किल से दोनों टाइम की रोटी - दाल जुटाता था,
पर  चौदह  में  मोदी  सत्तासीन हुए जब से तब से- 
भरे मरीज़ वहां जिस दर खाली बैठा अकुलाता था, 
भला करे भगवान हमारे मोदी का जिनके कारण-
बवासीर पेशेंटों की हो गयी.........आज भरमार।
दयानिधि अब तो लो अवतार....!



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रचयिता- राजेश्वर राय 'दयानिधि' 9540276160


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