विश्व पर्यावरण दिवस (05 जून) पर वृक्ष की करना ख़ातिरदारी

धरती बोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।


निज अंतर-पट खोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।।


कटते पेड़ सिमटते जंगल,कैसे हो जंगल में मंगल
गरमी से भू डोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।
तपती धरती बोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।।


वृक्ष नहीं कैसे हो बरसा,बरसा को हर कोई तरसा
प्रकृति स्वयं में खौल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।
तपती धरती बोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।।


वृक्ष बिना जीवन हो कैसे,काम न आ सकते हैं पैसे
बड़ी बड़ों की पोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।
तपती धरती बोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।।


वृक्ष की करना ख़ातिरदारी,नेता हो या फिर व्यापारी
वृक्ष से भू अनमोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।
तपती धरती बोल रही है,वृक्ष लगायें वृक्ष उगायें।।



सतीश तिवारी 'सरस',
नरसिंहपुर (म.प्र.)
चलित वार्ता-9993879566


 


डाटला एक्सप्रेस
संपादक:राजेश्वर राय "दयानिधि"
Email-datlaexpress@gmail.com
FOR VOICE CALL-8800201131
What's app-9540276160


Comments
Popular posts
दादर (अलवर) की बच्ची किरण कौर की पेंटिंग जापान की सबसे उत्कृष्ट पत्रिका "हिंदी की गूंज" का कवर पृष्ठ बनी।
Image
प्रदेश के दूसरे सबसे स्वचछ शहर का तमगा प्राप्त गाज़ियाबाद झेल रहा नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही की मार।
Image
मशहूर कवि डॉ विजय पंडित जी द्वारा रचित रचना "सुरक्षित होली प्रदूषणमुक्त होली"
Image
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की छत्रछाया में अवैध फैक्ट्रियों के गढ़ गगन विहार कॉलोनी में हरेराम नामक व्यक्ति द्वारा पीतल ढलाई की अवैध फैक्ट्री का संचालन धड़ल्ले से।
Image
कविता:-शर्माता यौवन
Image