अरविंद उनियाल 'अनजान' की कविता 'सियासत'

प्रस्तुति डाटला एक्सप्रेस 


सियासत



अमन औ चैन की बस्ती में दहशत बाँट देती है ।
हमें हिन्दू मुसलमाँ में सियासत बाँट देती है ।


सियासी रोटियों को सेकने के वास्ते कुर्सी -
मुहब्बत चाहने वालों को नफरत बाँट देती है ।


बिखर जाते हैं रिश्ते स्वार्थ की दीवार उगने पर-
कलह परिवार, आँगन, खिड़कियाँ, छत बाँट देती है ।


तरसती हैं कभी इक बूंद बारिश के लिये फसलें
कभी बरसात छप्पर को मुसीबत बांट देती है ।


हरिक रिश्ते पे हावी दिख रहा है आजकल पैसा -
सगे भाई को भाई से वसीयत बाँट देती है ।


हमेशा लूटती है आम जनता को मगर सत्ता -
चुनावी साल में थोड़ी सी राहत बाँट देती है ।


सड़ाकर कैद में 'अनजान' लाखों बेगुनाहों को-
अदालत धनकुबेरों को जमानत बाँट देती है ।



_________________________
कवि परिचय-
अरविन्द उनियाल 'अनजान'
जन्म तिथि- 28-06-1974
ई मेल-arvindiniyall@gmail. com
दूरभाष-9410912290
शिक्षा- स्नातकोत्तर
संप्रति- ग्राम विकास अधिकारी के पद पर टिहरी जिले, उत्तराखंड में कार्यरत
स्थाई पता- श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड ।


Comments
Popular posts
ठेकेदार प्रतीक का भ्रष्टाचारी खेल, पुरानी ईंटों का पुनः ईस्तेमाल कर बना डाली गली।
Image
विराटनगर नेपाल में आयोजित नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव मे अलवर निवासी ममता शर्मा 'अंचल' को किया गया सम्मानित।
Image
आरटीआई आवेदक को लट्टू की तरह नचा रहे जीडीए प्रवर्तन जोन दो के अधिकारी, आठ माह पूर्व प्रेषित की गई आरटीआई से संबंधित प्रपत्रों को आवेदक के कई प्रयासों के बावजूद देने के लिये नही हैं तैयार।
Image
अवैध निर्माणों को संरक्षण देना हो या आरटीआई नियमों की धज्जियां उड़ाना, जीडीए प्रवर्तन जोन 02 के अधिकारी दोनों चीजों मे हैं माहिर।
Image
श्री संकटमोचन बालाजी मंदिर समिति द्वारा किया गया अठ्ठारवा विशाल माँ भगवती जागरण का आयोजन
Image