"पाँच साल सिसकाने वालों"
रचनाकार: आकाश महेशपुरी
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जनता को तड़पाने वालों
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
फेंक रहे थे इतना ज्यादा
कहाँ गया वह तेरा वादा
अच्छे दिन का स्वप्न दिखाकर
वोट सभी लोगों का पाकर
रोटी को तरसाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
अब भी जुमले फेंक रहे हो
रोजगार की वाट लगाकर
अच्छे-खासे पढ़े-लिखे अब
बेच रहे हैं चाट बनाकर
ठेलों तक पहुँचाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
चोर-लुटेरे भाग गए सब
चौकीदारी खूब निभाई
जनता की जेबों को देखो
काट रहें हैं तेरे चाई
सबकी नींद चुराने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
तुमने ऐसी नीति बनाई
आसमान छूती महँगाई
उसको भूखे मार रहे हो
जिसको तुम कहते थे भाई
भाई को भरमाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
वक्त बुरा आया है लेकिन
तुम तो चाँदी काट रहे हो
जाति-धर्म की आग लगाकर
इंसानों को बाँट रहे हो
कटुता तुम फैलाने वालों-
आना फिर से वोट मांगने
पाँच साल सिसकाने वालों
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प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस 25/1/19