पोषराज मेहरा 'अकेला' की एक ग़ज़ल "दिखे लोग..."


दिखे लोग....


जब कभी भी बेबसी पे हँसते दिखे लोग,
मँहगे लिबासों में मुझे सस्ते दिखे लोग।


कहीं महल वीरान हैं इंसान के बिना,
कहीं सड़क के आसपास बसते दिखे लोग।


चर्चित था भाई-चारा कभी अपने देश में,
एक-दूसरे पे आज तंज कसते दिखे लोग।


नागों को पीछे छोड़ दिया है इंसानो ने,
आपस में एक-दूसरे को डसते दिखे लोग।


कहाँ बफाएँ देखने को मिलतीं आजकल,
धोखा-धड़ी के पाटों बीच पिसते दिखे लोग।


"अकेला" बैंक हो, दफ़्तर या कोट-कचहरी,
अक्सर ही यहाँ एड़ियां घिसते दिखे लोग।
____________________________
पोषराज मेहरा "अकेला"
गूजर झिरिया, गाडरवारा
जिला- नरसिंगपुर मध्यप्रदेश
मो-08878984349
__________________________
(प्रस्तुति: डाटला एक्सप्रेस (साप्ताहिक)/गाज़ियाबाद, उ०प्र०/30 जनवरी से 05 फरवरी 2019/बुधवार/संपादक: राजेश्वर राय 'दयानिधि'/email: rajeshwar.azm@gmail.com/datlaexpress@gmail.com/दूरभाष: 8800201131/व्हाट्सप: 9540276160


Comments
Popular posts
ठेकेदार प्रतीक का भ्रष्टाचारी खेल, पुरानी ईंटों का पुनः ईस्तेमाल कर बना डाली गली।
Image
विराटनगर नेपाल में आयोजित नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव मे अलवर निवासी ममता शर्मा 'अंचल' को किया गया सम्मानित।
Image
आरटीआई आवेदक को लट्टू की तरह नचा रहे जीडीए प्रवर्तन जोन दो के अधिकारी, आठ माह पूर्व प्रेषित की गई आरटीआई से संबंधित प्रपत्रों को आवेदक के कई प्रयासों के बावजूद देने के लिये नही हैं तैयार।
Image
अवैध निर्माणों को संरक्षण देना हो या आरटीआई नियमों की धज्जियां उड़ाना, जीडीए प्रवर्तन जोन 02 के अधिकारी दोनों चीजों मे हैं माहिर।
Image
श्री संकटमोचन बालाजी मंदिर समिति द्वारा किया गया अठ्ठारवा विशाल माँ भगवती जागरण का आयोजन
Image